नानाजी की 10वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि के साथ 5000 लोगों ने किया प्रसाद ग्रहण

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चित्रकूट। नानाजी के स्मृति चिन्ह के रूप में दीनदयाल परिसर चित्रकूट में श्रद्धा स्थल पर उनकी दशम पुण्यतिथि 27 फरवरी को संस्थान के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं और चित्रकूट क्षेत्र के लोगों द्वारा विधि-विधान पूर्वक श्रद्धा सुमन अर्पित किया। एक दिन पूर्व ही नानाजी को श्रद्धांजलि देने वाले क्षेत्रीय ग्रामीणों का तांता दीनदयाल परिसर में लगने लगा था। प्रातः से ही चित्रकूट क्षेत्र के ग्रामीण लोग आना शुरू हो गए और पंडित दीनदयाल पार्क में बने नानाजी के श्रद्धा स्थल पर पुष्पांजलि का दौर चलता रहा, वहीं दूसरी ओर श्रीरामचरितमानस पाठ का हवन पूजन कार्यक्रम में भी लोग अपनी आहुति पूर्ण कर रहे थे। दीनदयाल परिसर के ग्राउंड में भंडारा प्रसाद का कार्यक्रम प्रातः 10 बजे से साधु-संतों के प्रसाद से प्रारंभ होकर अनवरत देर शाम तक चलता रहा। जिसमें लगभग 5 हजार लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

एक मुट्ठी अनाज एवं एक रूपये के अंशदान से हुआ विशाल भंडारा

व्यक्ति पुरुषार्थी, परावलंबी तब बनता है जब उसका आत्मबल मजबूत होता है। आत्मविश्वास को मजबूती देने में आस्था का होना जरूरी है। ऐसी ही कुछ आस्था चित्रकूट क्षेत्र के ग्राम वासियों में भारत रत्न नानाजी देशमुख के लिए दिखी। नानाजी ने जिस तरह आम जनता की पहल और पुरुषार्थ से चित्रकूट में जो सामाजिक पुनर्रचना का काम खड़ा किया है उसमें प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी उन्होंने सुनिश्चित करने का प्रयास किया था, उसी भागीदारी को बरकरार रखने के लिए नानाजी की दशम पुण्यतिथि 27 फरवरी को होने वाला विशाल भंडारा प्रसाद आम जनमानस के एक मुट्ठी अनाज एवं एक रूपये अंशदान सहयोग से संपन्न हुआ। जिसमें दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं की टोली मझगवां एवं चित्रकूट जनपद के अधिकांश गांव एवं घरों तक पहुंची, पुण्यतिथि कार्यक्रम का आमंत्रण दिया और सहयोग की अपेक्षा की। हरेक गांव में आस्था के प्रति सहभागिता का नजारा देखने लायक था। जिसमें 8935 परिवारों से ₹552249 का अंशदान तथा 90 क्विंटलअनाज का संकलन हुआ।

सियाराम कुटीर मैं भी हुआ पुष्पार्चन

देशभर के कई स्थानों से नानाजी से जुड़े हुए तथा उनके कार्य के प्रति आस्था रखने वाले लोगों ने चित्रकूट आकर नानाजी के आवास सियाराम कुटीर में जाकर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए। धारकुंडी के रामायणी महाराज जी ने अपने संतों की पूरी टोली के साथ सियाराम कुटीर आकर नानाजी के कक्ष में पहुंचकर उनको याद किए तथा अमरावती आश्रम के 109 वर्षीय महाराज जी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनके द्वारा भावुकता के साथ अपने और नानाजी के आत्मीय संबंधों एवं कुछ संस्करणों को बताते समय उनकी आंखें नम हो गई।

संदीप रिछारिया

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