प्रकृति से हटकर कोई भक्त नहीं हो सकता: साध्वी कात्यायिनी

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मानस मंथन अनुष्ठान (पंचम दिवस )

चित्रकूट। श्रीराम सेवा मिशन द्वारा आयोजित श्रीकामदगिरि परिक्रमा में स्थित ब्रहमकुंड शनिमंदिर प्रांगण में चल रही मानस मंथन अनुष्ठान के पंचम दिवस साध्वी कात्यायिनी ने पयस्वनी, मंदाकिनी और सरयू नदियों को जीवनदान देने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मंदाकिनी में सीवर छोड़ा जा रहा है। प्यस्वनी सूख चुकी है, सरयू सूख चुकी है। प्रकृति अपने आप हमें संदेश सुनाती है, संदेश देती है। हम क्या कोई प्रकृति से विलग होकर भक्ति नही कर सकता। उन्होंने कहा कि नदी का सीमांकन होना चाहिए, उसका अवलोकन होना चाहिए, मंदाकिनी को शुद्व होना चाहिए, पयस्वनी को जीवनदान देने के लिए प्रशासन आगे आए, उसे जीवनदान देने के लिए जो भी उपकरणों की आवश्यकता हो उसे सरकार प्रदान करे।

उन्होंने कहा कि शासन केवल नदियों की सफाई के काम के लिए बातें मत करे कुछ काम यर्थाथ में करे। चित्रकूट तपस्थली है, यहां पर हर साल करोड़ों लोग दर्शन करने आते हैं। भगवान राम यहां पर साढे ग्यारह साल रहे, लेकिन देखकर दुख होता है कि यहां पर प्रकृति का स्वरूप खत्म किया जा रहा है।

उन्होंने श्रीराम कथा के दौरान सेतु बंध की स्थापना में गिलहरी का वृतांत बताते हुए कहा कि श्रीराम के कार्य के लिए गिलहरी के योगदान को स्वयं श्रीराम ने स्वीकार कर उसे आर्शीवाद दिया। इसलिए इन पवित्र नदियों को जीवनदान व शुद्विकरण करने के लिए यह परवाह मत करिए कि आपको कार्य क्या करना है और क्या कार्य मिला है, आप तो बस जुट जाईये।

मातृशक्ति, संत शक्ति व आम लोगों की शक्ति जब अपने अपने इच्छानुसार कार्य करेगी तो पयस्वनी भी जीवित होंगी और मंदाकिनी का शुद्विकरण भी होगा। कथा सुनने के लिए तमाम संत व आम लोग मौजूद रहे। इस दौरान कथा के व्यवस्थापक सत्यनारायण मौर्य, संतोष तिवारी आदि व्यवस्थाओं में लगे दिखाई दिए।

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