प्रभु राम के गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुरी पहुँचने की कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

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लालगंज (रायबरेली)। सरेनी – मदईखेड़ा गांव के माँ कालिका देवी मंदिर में अयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पं. जयनारायण त्रिवेदी ने प्रभु राम की ओर से किये गये अहिल्या उद्धार की कथा सुनायी!उन्होंने जैसे ही प्रभु राम के गुरु विश्वामित्र के साथ जनकपुरी पहुँचने की कथा सुनाई।

श्रोता मंत्रमुग्ध हुए!श्री त्रिवेदी ने सीता स्वयम्बर की कथा सुनाते हुए कहा कि जैसे ही श्री राम जनकपुर पहुँचे!वहाँ के निवासी उनकी एक झलक पाने को बेताब हो गए!सभी के मन में आया कि अगर भगवान राम धनुष तोड़़ दे तो राम सीता की जोड़ी अच्छी रहेगी!

सीता जी भी मन ही मन राम की सफलता की कामना करने लगी!इधर जब सारे राजा तिल भर धनुष को हटा न सके तो राजा जनक ने “बीर बिहीन मही मैं जानी” कहकर अपनी नाराजगी जताई!लक्ष्मण जी को बुरा लगा!उन्होंने कहा कि गुरु की आज्ञा मिल जाये तो हम इसके टुकड़े-टुकड़े कर सकते हैं!अन्त में प्रभु राम गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से उठे और धनुष भंग कर सभी के संसय मिटा दिए!

कथा व्यास ने रामचरित मानस की ये पंक्तियां भी सुनाई-जेहिकै जेहि पर सत्य सनेहू,मिलहि सो तेहि नहि कछु संदेहू!इस अवसर पर संयोजक महेश मिश्रा के अलावा भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे!

रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा

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