बुंदेलखंडी कलाकार चाहें फिल्म सिटी

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राकेश कुमार अग्रवाल

प्रदेश में फिल्मसिटी की स्थापना को लेकर हलचल तेज हो गई है . फिल्मी दुनिया से बुंदेलखंड का बहुत पुराना नाता है . अभिनेत्री रानी मुखर्जी हों या मशहूर गीतकार इंदीवर या दक्षिण भारत के जाने माने सिनेमेटोग्राफर अशोक अग्रवाल सभी का वास्ता बुंदेलखण्ड से है . बुंदेलखण्ड ने कई सितारे बाॅलीवुड को दिए हैं . एवं वो चाहते हैं कि फिल्मसिटी का निर्माण बुंदेलखण्ड में ही होना चाहिए . अभिनेता व राजनीतिज्ञ राजा बुंदेला बुंदेलखण्ड में फिल्म सिटी बनाए जाने के पुरजोर समर्थक हैं . फोन पर हुई वार्ता में राजा बुंदेला ने कहा कि सरकार को इस संबंध में सह्रदयता व सहानुभूतिपूर्ण ढंग से बुंदेलखंड के पक्ष में फैसला लेना चाहिए . क्योंकि बुंदेलखण्ड का हक भी बनता है . यह फिल्मसिटी बुंदेलखण्ड में बनेगी तो विकास के नए द्वार खोलेगी . होटल उद्योग से लेकर आवागमन , टैक्सी , स्थानीय लोगों को रोजगार , स्थानीय कलाकारों को अभिनय का मौका मिलेगा . बुंदेलखंड देश के मध्य में है सभी जगह से फिल्मकार यहां आ सकते हैं. फिल्मसिटी का विकसित होना बुंदेलखण्ड के पिछडेपन को दूर करने में बडी भूमिका निभा सकता है . विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकता है . इस संबंध में वे सोमवार को अपना पक्ष प्रदेश के गृह सचिव से वार्ता कर रखने जा रहे हैं . बुंदेली सेना के अध्यक्ष अजीत सिंह बुंदेलखण्ड में फिल्म सिटी की स्थापना की जोर शोर से मांग कर रहे हैं .

मुकेश तिवारी

मशहूर फिल्मकार मणिरत्नम की फिल्म रावण की शूटिंग ओरछा के निकट लुहरगांव में कराने की लोकेशन को चिन्हित करने वाले रंगकर्मी व अभिनेता आरिफ शहडोली फिल्मसिटी के निर्माण के लिए बुंदेलखण्ड को सर्वोत्तम करार देते हैं . वह कहते हैं कि बुंदेलखण्ड का सौंदर्य अद्भुत है . बुंदेलखंड भारतीय चेतना का केन्द्र बिंदु है . यहाँ पर तो फिल्म गाँव बनना चाहिए क्योंकि देश से गाँव लुप्त होते जा रहे हैं . गाँव ही हमारी पहचान है . यहां के घरों का आर्किटेक्ट देखते ही बनता है .

थियेटर , नाट्य मंचन बुंदेलखण्ड के लिए कोई नया है गंगाधर राव के समय में मेघदूत , मृच्छकटिकम , अभिज्ञान शाकुंतलम जैसे नाटकों का यहां मंचन होता था . चरखारी में तो आगा हश्र कश्मीरी जैसा पारसी रंगमंच का नाटककार था . वहाँ का राॅयल थियेटर उपेक्षा के चलते गोदाम बन गया है . चरखारी जैसी लोकेशन ढूंढ पाना सहज नहीं होगा . उसे बुंदेलखण्ड के कश्मीर की संज्ञा यूं ही नहीं दे दी गई .

राजा बुंदेला

अपनी पहली ही फिल्म चाइना गेट में खलनायक जगीरा का किरदार निभाकर सुर्खियाँ बटोरने व गंगाजल , गोलमाल, दिलवाले , अपहरण और भौरी जैसी फिल्मों से सिने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने वाले मुकेश तिवारी बुंदेलखंड से बाॅलीवुड का सफर तय कर वहाँ तक पहुंचे हैं . कहते हैं कि फिल्मसिटी बने इससे सराहनीय कदम कोई नहीं हो सकता . यदि यह बुंदेलखण्ड में बनती है तो सबसे ज्यादा खुशी मुझे होगी क्योंकि मैं यहीं जन्मा . यहीं पला – बढा . यहीं मेरा परिवार है . यहां नया रोजगार पैदा होगा . नए लोगों को काम मिलेगा . बुंदेलखण्ड वैसे भी उद्योग शून्य है . यहां के लोग आर्थिक तौर पर बहुत कमजोर हैं . बुंदेलखण्ड के पलायन को हम जानते हैं. किस तरह से संघर्ष करके अपना मुकाम बनाया है . यह न सहज है न ही बहुत आसान . फिल्मसिटी बनेगी तो विकास के तमाम रास्ते लेकर आएगी. पूरा ढाँचा विकसित होने में वक्त लगता है . लेकिन धीरे धीरे सब डेवलप हो जाएगा .

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