इनपुट – मनोज मौर्य
ऊंचाहार (रायबरेली) । इस्लाम धर्म में रोजा और नमाज 8 साल की उम्र के बाद अनिवार्य हो जाता है लेकिन अगर परिवार धार्मिक और संस्कारित हो तो बच्चे वही सीखते हैं। ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत कजियाना स्थित नफीस इदरीसी के घर में देखने को मिला जिनकी दो पुत्रियां मुस्लिम महिला धर्मगुरु है, उन्हीं के पद चिन्हों पर चलते हुए उनके छोटे भाई रियाज इदरीसी कि मात्र 5 वर्ष की पुत्री आफिया रियाज इदरीसी ने रमजान के पवित्र महीने में अपने जीवन का पहला उपवास रखा। भूख और प्यास को त्याग कर ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए रखा पहला रोजा। जिसके हौसले ईश्वर के प्रति त्याग और समर्पण को देखते हुए परिवार वाले पड़ोसी एवं रिश्तेदार निरंतर बधाई दे रहे।
महिला धर्मगुरु फलक नफीस इदरीसी कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अथवा सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का लगातार सोशल मीडिया एवं धरातल पर प्रचार कर लोगों को जागरूक कर रही हैं। ईश्वर इन बच्चों के त्याग और समर्पण को देख जरूर इन की दुआओं को सुनेगा और भारत को रोना संक्रमण से मुक्त होगा।