मोहन भागवत को चित्रकूटधाम को केंद्र के अधीन करवाने का वादा याद दिलाएंगे जगद्गुरु रामभद्राचार्य?

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संघ के शिविर में श्री तुलसी पीठ पहुँचे आरएसएस प्रमुख से जगद्गुरु ने चित्रकूट को केंद्र के आधीन करवाने में सहयोग का लिया था वादा

रिपोर्ट- संदीप रिछारिया

चित्रकूटधाम। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने हालिया दिनों में पीओके पर भारत का कब्जा होने के साथ ही मथुरा में श्री कृष्णजन्म भूमि और काशी में बाबा विश्वनाथ जी मन्दिर पर गर्मागर्म बयान देकर देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। वैसे इससे पूर्व जगद्गुरु के अकाट्य शास्त्रीय सैदान्तिक व शास्त्रीय ग्रन्थों में वर्णित तर्को के जरिये ही श्री राम जन्मभूमि पर हिंदुओ के पक्ष में फैसला आया था। अब जगद्गुरु ने देश विदेश में फैले हिंदुओ को एक सूत्र में बांधने के लिए 15 दिसम्बर को चित्रकूट धाम की पवित्र धरा पर हिन्दू एकता महाकुंभ का आयोजन किया है। इस आयोजन में प्रमुख रूप से आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति और उदबोधन तो सर्वथा ग्राह होगा ही,साथ ही पिछले कुछ सालों से हिन्दू अस्मिता के लिए काम कर रहे दिल्ली और मुंबई के बड़े नाम भी मंच पर दिखाई देंगे।सूत्रों का कहना है कि इस आयोजन को सफल बनाने में जहां एक ओर जगद्गुरु के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास जी के नेतृत्व में विश्व भर में फैले राघव परिवार के साधक लगे हुए है वही दूसरी ओर आरएसएस,विहिप के साथ तमाम हिंदूवादी संगठन के लोग भी जी जान से जुटे हुए है। 14 दिसम्बर से लेकर 16 दिसम्बर तक होने वाले इस आयोजन में वैसे तो विविध कार्यक्रम होंगे पर इन सबसे विशेष 1100 शंखों की नाद अपने आपमे अनोखी होगी।

चित्रकूट को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के साथ मन्दाकिनी की शुचिता के लिए अनवरत प्रयास में लगे जगद्गुरु पिछले काफी समय से यूपी और एमपी की सीमाओं के कारण विकास से वंचित अद्भुत तीर्थ चित्रकूट को केंद्र के आधीन करवाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे है। पिछले साल चित्रकूट में आयोजित आरएसएस के राष्ट्रीय शिविर में जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जगद्गुरु से मिलने तुलसी पीठ पहुँचे तो उन्होंने उनसे चित्रकूट को केंद्र के आधीन करवाने पर गहरी बातचीत की।उन्होंने अपने तर्को से यह सिध्द किया कि चित्रकूटधाम 84 कोस परिक्षेत्र में फैला विलक्षण तीर्थ है। यहाँ पर सतयुग, द्वापर, त्रेता के तमाम प्रमाण आज भी मौजूद है। ब्रह्मा, विष्णु व महेश को बालक के रूप में प्रकट करने वाली माता अनुसुइया की तपस्थली है तो दूसरी तरफ ऋषि सरभंग,सुतीक्षण, दत्तात्रेय,अगस्त जैसे कई ऋषियों की साधना का केंद्र है। भगवान श्री राम को विश्व से परिचित कराने वाले महर्षि वाल्मीकि और श्री राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज भी इसी माटी में जन्म लिए।आधे तीर्थ यूपी में व आधे तीर्थ एमपी में है।जिससे बाहर से आने वाले व स्थानीय लोगो को बहुत दिक्कत होती है।उनके तर्कों को सुनकर आरएसएस प्रमुख ने चित्रकूट धाम परिक्षेत्र को केंद्र के आधीन होने के यथा योग्य माना और वादा किया कि इस मुद्दे को वो आगे बढ़ाने का काम करेंगे। अब इस बड़े आयोजन के मंच पर सवाल खड़ा होता है कि क्या जगद्गुरु आरएसएस चीफ से पुनः मंच से चित्रकूट को फ्री जोन में तब्दील करने और केंद्र के आधीन करवाने का वादा याद दिलाएंगे।

वैसे इस मामले में जगद्गुरु के उत्तराधिकारी युवराज आचार्य रामचन्द्र दास कहते है कि हम तो गुरु जी के आदेश का पालन कर रहे है।हमारा काम व्यवस्था देखना है। आयोजन सफल हो हम और हमारी सारी टीम काम कर रही है।आयोजन में जो लोग भी काम कर रहे है वह लोग साधुवाद के पात्र है।

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