अब तहसील , सीओ आफिस , मुंसिफ कोर्ट , फायर स्टेशन सभी आए चपेट में , दो दिन के लिए तहसील हुई बंद
कुलपहाड ( महोबा ) ” ऐसा कोई सगा नहीं जिसको हमने ठगा नहीं की ” यह मशहूर स्लोगन कानपुर के एक लड्डू निर्माता का इन दिनों कोरोना के कोहराम पर सटीक बैठ रहा है . बाजार , बैंकों के बाद अब बारी बुन्देलखंड की सबसे बडी तहसील कुलपहाड की है जहां के एक युवा लेखपाल को कोरोना पाजिटिव पाए जाने पर तहसील को सीज कर दिया गया है . जिस कारण २७२ गांवों के लोगों का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया है.
सोमवार देर शाम आए कोरोना बुलेटिन के बाद तहसील के युवा लेखपाल को कोरोना पाजिटिव की पुष्टि हो गई . दरअसल उक्त लेखपाल कई दिनों से बुखार से पीडित था. रिपोर्ट आते ही शाम से तहसील बंद होने की खबरें फिजा में तैरने लगीं थीं. तहसील के आसपास की दुकानों को शाम को ही बंद करा दिया गया था .
गौरतलब है कि तहसील में उपजिलाधिकारी, मुंसिफ मजिस्ट्रेट न्यायालय, तहसीलदार , पुलिस क्षेत्राधिकारी कार्यालय , सब रजिस्ट्रार कार्यालय व फायर स्टेशन का अस्थाई डेरा भी तहसील में है . लगभग डेढ सौ अधिवक्ता तहसील में प्रतिदिन प्रक्टिस करते हैं.
सैकडों कर्मचारी और हजारों की संख्या में काश्तकारों का प्रतिदिन तहसील आना जाना होता है. लेखपाल का स्थानीय गोविंदनगर मोहल्ले के अलावा महोबा में भी निवास है . ऐसे में प्रशासन के समक्ष एक और मुसीबत यह खडी हो गई है कि कुलपहाड और महोबा दोनों जगह के आवास सीज किए जाएँगे या नहीं . नगर में कोरोना का सरकारी आँकडा तेजी से बढता जा रहा है . साथ ही साथ नगर की किलेबंदी भी . महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि तहसील के नजदीक ही कठवरिया व सेनापति वार्ड भी है जहां एक बडी आबादी रहती है. दूसरा तहसील कुलपहाड – नौगांव मार्ग पर स्थित है . ऐसे मे अधिकारी किस तरह से नया कंटैनमैंट जोन बनाते हैं . फिलहाल साठ फीसदी नगर को बाँस – बल्ली से ब्लाक कर दिया गया है . तहसील के मुख्य द्वार पर ताला जड दिया गया है . कोरोना का तांडव जारी है . लोग दुआ कर रहे हैं कि भगवान दो चार महीना बुखार खांसी न दीजौ , बुखार खांसी दीजौ तो कोरोना न दीजौ ..