सरेनी(रायबरेली)!हरियाली प्रकृति का आभूषण है,लेकिन यहां हरियाली के दुश्मन कुदरत का सुहाग उजाड़ने पर पूरी तरह आमादा हैं।पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ,धरती को स्वर्ग बनाओ के स्लोगन को वन व पुलिस विभाग की अनदेखी से हरियाली के दुश्मनों ने बदलकर कर रख दिया है।अब माफिया पेंड़ काट कर हरियाली मिटाओ,धरती को रेगिस्तान बनाओ की तर्ज पर अपने मिशन में जुटे हैं।सहेजे वन तो बरसे धन व पेंड़ धरा के भूषण करते दूर प्रदूषण यह स्लोगन हाईवे के किनारे बने पेड़ों के ट्री गार्ड से लेकर वन विभाग के दफ्तरों में काफी अच्छे ढंग से लिखे दिखेंगे।थानाध्यक्ष की मनाही के बावजूद वन माफिया वन विभाग व हल्का दारोगा के रहमोकरम पर हरियाली मिटाने से बाज नहीं आ रहे।अगर हरे प्रतिबंधित वृक्षों की कटान के मामले को लेकर पुलिस व वन महकमा काफी गंभीर है तो कटान पर लगाम क्यों नहीं लगती है।आए दिन पेड़ों की कटान हो रही है।प्रतिबंधित वृक्षों पर आरे चलते हैं।शुक्रवार को सरेनी थाना क्षेत्र के हल्का नंबर एक के अंतर्गत गुलालपुर गांव के पास हरे प्रतिबंधित नीम के पेंडो की कटान हल्का दरोगा की मिलीभगत से जोरों पर थी और हल्का दरोगा की शह पर बेखौफ वन माफिया धरा के आभूषण वृक्षों पर निर्ममता से इलेक्ट्रिक आरा चलाकर धरा को वृक्ष रहित करने पर आमादा हैं!बीते कई दिनों से सेटिंग गेटिंग कर वन माफिया धडल्ले से कटान करा रहे हैं और इस दौरान हल्का दरोगा को न ही क्षेत्राधिकारी लालगंज के कडे़ निर्देशों का भय है और न ही थानाध्यक्ष सरेनी की सख्ती का डर!बेशकीमती वृक्षों की तस्करी भी खूब हो रही है!वहीं हल्का दरोगा व वन विभाग की सरपरस्ती में चोरी छिपे वन विभाग लगभग रोजाना सक्रिय दिखते हैं और मामला उजागर होने पर वन विभाग पुलिस पर व पुलिस वन विभाग को दोषी ठहराने में जरा भी देर नहीं करती और एक दूसरे के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो जाता है!
..तो क्या वन विभाग व हल्का दरोगा का मिलीभगत का खेल ?
वन विभाग व दरोगा सरकारी कर्मचारी होते हैं और सरकार इनको प्रतिमाह तनख्वाह देती है बावजूद इसके वन विभाग व दरोगा का पेट नहीं भरता है और वह वन माफियाओं से सांठगांठ कर हरे पेडों पर इलेक्ट्रॉनिक आरा चलाने की इजाजत देकर इसके एवज में उनसे मोटी रकम लेकर आपस में बंदरबांट कर लेते हैं!योगी सरकार के आदेश भी इनके लिए कोई मायने नहीं रखते हैं!
रिपोर्ट- संदीप कुमार फिजा