सतना जिले के रामनगर तहसील स्थित सुलखमा गांव में बस्ती है बापू की आत्मा, आश्वासन पर टिका है चरखा वाला गांव

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रिपोर्ट – भीम सिंह (रामनगर से संवाददाता)

सतना – मध्य प्रदेश के सतना जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूरी पर बसा एक गांव आज भी महात्मा गांधी के सिखाए हुए रास्ते पर चल रहा है। स्वावलंबन की प्रथा को बनाए रखने वाले इस गांव के लगभग हर घर में एक चरखा चलता है। जो इनकी जरूरत भी है और परम्परा भी। गांव के बुजुर्गों ने महात्मा गांधी से पाठ सीखा, और इन्हें विरासत में दे गए। आजादी के इतने साल बाद भी गांव में चरखे से सूत कातने की परम्परा कायम है।लेकिन अब इन्हें सरकारी मदद की जरूरत है।

सतना जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर रामनगर तहसील का सुलखमा गांव आज भी महात्मा गांधी के सिखाए हुए रास्ते पर चल रहा है। तीन हजार की वाले आबादी वाले इस गांव में दरअसल महात्मा गांधी ने जिस स्वावलंबी भारत का सपना संजोया था, उसका पालन आज भी इस गांव में हो रहा है। और चरखे से सूत काटकर कपडे और कम्बल बनाकर यहां के लोग बेचने का कार्य कर रहे हैं।इस गांव में महिला और पुरुष दोनों के काम बंटे हुए है। चरखा चलाकर सूत कातने का काम घर की महिलाए का होता है, जो घर के बाकि काम निपटाकर खाली बचें समय में चरखे से सूत बनाती है। इसके बाद का काम घर के पुरुषों का होता है जो इस सूत से कम्बल और बाकि चीजें बुनने का काम करते है।

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