चित्रकूट के गुनहगार-2
– राघव प्रयाग घाट पर मंदाकिनी नदी से मिलती हैं पयस्वनी व सरयू
– श्री राम के द्वारा किये गये पिंडदान स्थल को बना दिया गंदगी का घर
– प्रोजेक्टसेवियों व चंदन टीका वालों के लिए नदियां हैं केवल धन उगाही का साधन
त्रेतायुग में भगवान राम और कलयुग के फिल्मों के शहनशाह अमिताभ बच्चन में समानता देखनी हो तो चित्रकूट आईए। यहां पर देवगंगा मंदाकिनी नदी में आकर परमपिता ब्रहमा द्वारा प्रकट की गई पयस्वनी और भगवान राम के लिए अवतरित हुई सरयू नदी के मिलन स्थल राघव प्रयाग घाट पर भगवान राम ने पिता और अमिताभ बच्चन ने मां का पिंड तर्पण किया। इतना ही नहीं इस स्थान का जो भी वैशिष्टय जानता है, वह देश विदेश कहीं पर भी वह चित्रकूटधाम की धरती पर आकर खुद अपने प्रिय पूर्वजों का पिंडतर्पण जरूर करता है। वृद्व परंपरा के अनुसार स्वयं प्रयागराज वर्ष में एक बार आकर यहां पर अपने पापों को धोते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश की नगर ने इसे कूडावाहनी के रूप में तब्दील कर दिया हैं। इसे देखकर यह लगता नही है कि यहां पर विश्व की प्रथम नदी और इतनी विशिष्ट नदियों का संगम स्थल है।तीनों नदियों के बहाव क्षेत्र को पाटकर होटल, लॉज और घरोें के साथ नदियों की आरती उतारकर गंगे गंगे का उदघोष करने वाले संत और बडे़ स्तर के समाजसेवी भी इसकी जमीन पर कब्जा जमा कर वैठे हुये हैं।
हैरत की बात यह है कि नदियों के बारे में चिंता करने का काम नेशनल ग्रीन टिविन्यूल का है, लेकिन उसके अधिकारी चित्रकूट में आकर केवल वसूली करने के साथ ही नदी में जाने वाले गंदे जल को सोख्ता के जरिए भेजने का काम कर रहे हैं।
चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़
तुलसीदास चंदन घिसें तिलक करे रघुवीर
यह चौपाई हमारे मंदाकिनी के किनारे रामघाट पर आधारित है बड़े दुख की बात है की आज हमारी मंदाकिनी नदी विलुप्त होने के कगार पर है इसका अस्तित्व ही संकट में है और शासन जनप्रतिनिधि आम जनमानस मौन है। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में जल संकट से सभी को जूझना पड़ेगा क्योंकि हर घर में जल मंदाकिनी द्वारा ही आपूर्ति किया जाता है। इसके लिए इसका संरक्षण आवश्यक है।आज जगह जगह घाटों का निर्माण किया जा रहा शोभा बढ़ाई जा रही है इससे पानी का श्रोत समाप्त होता है होटल की संख्या में दिनोदिन वृद्धि हो रही आज नाव में पार्टी और खाना खाने के ऑफर भी उपलब्ध है इन सबका क्या प्रभाव पड़ा रहा है नदी पर इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रही मदाकिनी का अस्तित्व खतरे में है होटल के नाली का पानी हो या सीवर का गंदा पानी सब मदाकिनी में गिराया जा रहा है जिससे नदी का जल आज दूषित हो गया है। इस सब पर रोकथाम होना अति आवश्यक है इसके लिए सभी को आगे आकर मां मंदाकिनी को जीवनदान देने हेतु एक मुहिम चलाना चाहिए जिससे मंदाकिनी नदी को बचाया जा सके ।आम जनमानस और शासन को मिलकर मंदाकिनी नदी के बचाव के लिए एक अभियान चलाना चाहिए। मेरी सभी से गुजारिश है कि इस समस्या पर अपना ध्यान केंद्रित करे ताकी मंदाकिनी को बचाया जा सके।एक अभियान छेड़ा जाए। जल है तो कल है सबने सुना ही है। मंदाकिनी बचाओ ताकि भविष्य में जल पाओ।
रेखा मिश्रा
सदस्य, स्थायी लोक अदालत
एसडीएम कॉलोनी, चित्रकूट
पृथ्वी के सभी जीवों के लिए जल एक बहुमूल्य उपहार है। वर्तमान मे पूरा विश्व प्रदूषित नदियों की चपेट मे है। छोड़ दो करना अब से पाप, नदियों को करो अब साफ। अपने अंदर यह जोश भरो, नदियों को अब साफ करो नदियों की रक्षा है देश की सुरक्षा गंदे हो गये सारे नदी और नाले अब बनो इनके रखवाले। बिना नदी जीवन बदहाली नदी से आती हरियाली नदी से है पानी की आस, नदी बचाने का करो प्रयास नदी संरक्षण हमारा भविष्य। नदी तो है असली सोना इसे नही है अब खोना नदी है तो पानी है पानी है तो जीवन है। भविष्य को सुरक्षित बनाओ चलो नदियों को बचाओ। अब हमने यह ठाना है नदियों को बचाना है। नदियों को बचाकर रखिए प्रकृति की रक्षा कीजिये। हमने तुमने सबने माना है नदियों को अब बचाना।
सीमा शुक्ला,चित्रकूट
मंदाकिनी नदी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर पर एनजीटी को निवेदन किया जाय, जिसमें नदी के आसपास बढ़ते अतिक्रमण, पर्यावरण कानून-नियमों के उल्लंघन एवं विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की जाए। इसे मानव वध एवं हिंसक अपराध माना जाए, क्योंकि इसके परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेंगे। पर्यावरणविद् की सहायता लेकर उसके अध्ययन एवं रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी में याचिका लगाई जाए। एनजीटी सतना और चित्रकूट धाम जिले के दोनों कलेक्टर को नदी के 100 मीटर तक के दोनों किनारों के क्षेत्र में किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होने देने के निर्देश जारी कर दे।
डा0 नौनिहाल गौतम, असिस्टेंट प्रोफेसर, डा0 हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी, सागर
रिपोर्ट – संदीप रिछारिया