कौशाम्बी। पिपरी थाना क्षेत्र में दलित किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म की प्राथमिकी मंगलवार की देर रात गंभीर धाराओं में पुलिस ने दर्ज कर ली है। आरोप है कि पीड़ित का परिवार रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए थाना पुलिस के पास 4 दिन से चक्कर लगा रहा था। उच्चाधिकारियों की फटकार के बाद स्थानीय थाना पुलिस ने आरोपित भागवत प्रसाद व् संतोष सिंह ने खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
मिली जानकारी के अनुसार पिपरी थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी 26 जून की दोपहर 3 बजे खेतो में जानवरो के लिए चारा लेने गई। पीड़ित का आरोप है कि पहले से घात लगाए बैठे गांव के ही शख्स भागवत प्रसाद व् संतोष सिंह ने उसे पकड़ कर दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। पीड़िता बदहवास हालत में घर पहुंची। जिसके बाद घर के लोगो को घटना की जानकारी हुयी।
पीड़ित के पिता ने बताया घटना की सूचना उन्होंने लिखित रूप से थाना पुलिस ने पास पहुंच कर दी। पुलिस ने जाँच के बाद रिपोर्ट दर्ज करने का हवाला देकर दूसरे दिन आने को कहा। पीड़ित दूसरे दिन पंहुचा लेकिन थाना पुलिस ने घटना को फ़र्ज़ी बताते हुए मुकदमा दर्ज करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद से वह लगातार सीओ, एसपी के चक्कर लगा रहा है। मंगलवार को फैक्स के जरिये पीड़ित ने अपनी व्यथा महकमे के उच्चाधिकारियों को बताई।
एसपी अभिनन्दन ने बताया, घटना के सम्बन्ध में थाना पुलिस को तहरीर के अनुसार मुकद्दमा दर्ज कर विधिक कार्यवाही के निर्देश दिए गए है। मामले में इस बात की जाँच कराये जाने के निर्देश भी जारी किये गए कि किन परिस्थितियो में प्राथमिकी दर्ज किये जाने के विलम्ब किया गया।
पहले खबर का खंडन, फिर एफआईआर
पिपरी थाना क्षेत्र में हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में थाना पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। पुलिस ने सोशल मीडिया में पीड़िता के जुडी खबर चलने के बाद घटना क्रम पर पर्दा डालने के लिए अफसरों को गुमराह किया। थाना पुलिस की जवाब के क्रम में अफसरों ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउन्ट पर खबर का खंडन करने हुए घटना पर ही सवाल खड़े कर दिए।
सोशल मीडिया में चल रही खबरों का खंडन किये जाने के बाद स्थानीय थाना पुलिस ने मंगलवार की देर रात पीड़ित की तहरीर पर मुकदद्मा अपराध संख्या 0179 / 20 के तहत गंभीर धाराओं में आरोपितों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। स्थानीय लोगो के अब पुलिस की कार्यवाही के बाबत चर्चा आम है कि आखिर पुलिस अफसरों और थाना पुलिस की वह कौन से मजबूरी थी जो अभी ना और कभी हाँ जैसी स्थिति में आकर अपनी जगहसाई करा बैठी ?