: डॉ कमल सिंह राठौड़, बी एन यूनिवर्सिटी, उदयपुर
आज, दिसंबर 25, 2024 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी मनाई जा रही है। यह अवसर उनके जीवन, उनकी उपलब्धियों, और उनके देश के लिए किए गए योगदान को याद करने का एक महत्वपूर्ण मौका है।
अटल बिहारी वाजपेयी एक महान राजनेता, कवि, और वक्ता थे। उन्होंने भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। अटल बिहारी वाजपेयी एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, पहली बार 16 मई से 1 जून 1996 तक, और फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक। और देश को महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों और परमाणु प्रगति के माध्यम से नेतृत्व किया। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक सदस्य थे और उनकी वक्तृत्व क्षमता, कूटनीति, और अच्छे शासन पर जोर के लिए उन्हें राजनीतिक दलों के पार सम्मान मिला था।
वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को शिंदे की छावनी, ग्वालियर में हुआ था। मूलतः वे बटेश्वर के रहने वाले थे, उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और उनकी माता कृष्णा देवी एक घरेलू महिला थीं। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) और डीएवी कॉलेज, कानपुर में पढ़ाई की। मजेदार बात यह है कि उन्होंने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से की थी. दोनों ने एक ही कक्षा में लॉ की डिग्री हासिल की और इस दौरान दोनों एक ही साथ हॉस्टल में भी रहे थे.
वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेकर की और 24 दिन तक कारावास में रहे थे।अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने प्रारंभिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आ गए थे. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1957 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1968 से 1973 तक भाजपा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1997 में जनता पार्टी सरकार से विदेश मंत्री बने और संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सत्र में उन्होंने हिंदी में अपना भाषण भी दिया था. ऐसा करने वाले वे भारत के पहले व्यक्ति थे.
वाजपेयी जी ने 1996 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और 1998 से 2004 तक इस पद पर बने रहे। उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू किया, जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, करों को कम करना, और बुनियादी ढांचे में निवेश करना शामिल था। उन्होंने परमाणु प्रगति के लिए भी काम किया और 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया।
वाजपेयी जी को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें उन्हें 1992 में पद्म विभूषण, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार व गोविंद वल्लभ पंत जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया, 2015 में भारत रत्न शामिल है। यह भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जो उनके देश के लिए उनके अमूल्य योगदान के लिए दिया गया था। अटल जी
10 बार लोकसभा में और 2 बार राज्यसभा में सांसद रहे. वे एकमात्र ऐसे सांसद है जो चार अलग-अलग राज्यों दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से सांसद बने थे. 6 अप्रैल 1980 ई० में उनको भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया था.
अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सड़क मार्गों के विस्तार हेतु स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना को प्रारंभ किया था. उनके कार्यकाल में भारत में इतनी सड़कों का निर्माण हुआ जितनी शेरशाह सूरी के शासनकाल में हुआ था. उन्होंने 100 साल पुराने कावेरी जल विवाद को भी सुलझाया था.
वाजपेयी जी की विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है। उनकी नीतियों और कार्यक्रमों ने भारत को एक मजबूत और सशक्त देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू किया, जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, करों को कम करना, और बुनियादी ढांचे में निवेश करना शामिल था।
वाजपेयी जी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने भारत को एक मजबूत और सशक्त देश बनाने के लिए काम किया। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, करों को कम करना, और बुनियादी ढांचे में निवेश करना शामिल था।
वाजपेयी जी की एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि उन्होंने भारत को एक मजबूत और सशक्त देश बनाने के लिए काम किया। उन्होंने भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें परमाणु परीक्षण करना, मिसाइलों का विकास करना, और सेना को आधुनिक बनाना शामिल था।
वाजपेयी जी की विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है। उनकी नीतियों और कार्यक्रमों ने भारत को एक मजबूत और सशक्त देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू किया, जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, करों को कम करना, और बुनियादी ढांचे में निवेश करना शामिल था।
25 दिसम्बर के दिन को न केवल अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के रूप में मनाया जाता है बल्कि इसे ‘सुशासन दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है.
उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की और अनेक पुस्तकों की रचना की. उनको कविताओं से भी खासा लगाव रहा. वह अपने विचारों को कई बार कविताओं के माध्यम से भी सामने रखते थे. वे एक कुशल वक्ता थे और उनके बोलने का ढंग भी बिलकुल अलग था. वे दो मासिक पत्रिकाओं “राष्ट्रधर्म” और “पांचजन्य” के संपादक रहे. साथ ही दो दैनिक समाचार पत्र “स्वदेश” और “वीर अर्जुन” के भी संपादक रहे. उनकी कविताओं की बेहतरीन रचना “मेरी इकियावन कविताएं” हैं.
इस अवसर पर, हम अटल बिहारी वाजपेयी को उनके जीवन, उनकी उपलब्धियों, और उनके देश के लिए किए गए योगदान के लिए याद करते हैं। उनकी विरासत हमें याद दिलाती है कि नेतृत्व, सेवा, और देशभक्ति कितनी महत्वपूर्ण हैं। अटल जी का उपनाम अजातशत्रु (संस्कृत: जिसका कोई शत्रु न हो), क्योंकि वे हमेशा अच्छे इंसान की तरह रहते थे और विरोधी पक्षों में भी उनका कोई शत्रु नहीं था। भीष्म पितामह, यह उपनाम उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार ‘बाप जी’ कहकर बुलाते थे. वे एक दिग्गज नेता थे और उन्होंने विरोधी दलों के बीच भी एक खास मुकाम हासिल किया था. यहाँ तक कि जवाहर लाल नेहरू ने भविष्यवाणी करते हुए कह दिया था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रधानमंत्री होंगे. कॉंग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, भी अटल बिहारी बाजपेयी को अपना राजनैतिक गुरु मानते थे. पाकिस्तान के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए, उन्होंने 19 फरवरी 1999 को दिल्ली से लाहौर तक सदा-ए-सरहद नाम की एक बस सर्विस शुरू की थी जिसमें उन्होंने भी एक बार यात्रा की थी.
वाजपेयी ने कभी शादी नहीं की और उनके कोई बच्चे नहीं थे। वाजपेयी, जो मनोभ्रंश और मधुमेह से पीड़ित थे, का 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में नई दिल्ली के एक अस्पताल में कई अंगों के काम करना बंद कर देने से निधन हो गया।
उनकी कुछ महत्वपूर्ण वक्तव्य, बातें और कविताओं की पंक्तियाँ इस तरह हैं:
1- “छोटे मन से कोई बड़ा नहीं हो सकता , टूटे मने से कोई खड़ा नहीं हो सकता”.
2-“जीवन को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता, उसका पूर्णता में ही विचार किया जाना चाहिए”.
3-“व्यक्ति को सशक्त बनाने का मतलब है राष्ट्र को सशक्त बनाना। और सशक्तीकरण सबसे अच्छी तरह से तीव्र आर्थिक विकास के साथ तीव्र सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से किया जाता है.
4- “आतंकवाद एक नासूर बन गया है। यह मानवता का दुश्मन है।”
5-“हम युद्धों में अपने बहुमूल्य संसाधनों को अनावश्यक रूप से बर्बाद कर रहे हैं… हमें बेरोजगारी, बीमारी, गरीबी और पिछड़ेपन पर ऐसा करना होगा।”
6-“संघर्ष से भागो मत, क्योंकि संघर्ष से ही जीवन की मिठास आती है”
7-“कभी भी अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश मत करो, इससे आप खुद को और दूसरों को धोखा देंगे”
8- आप दोस्तों को बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसियों को नहीं।”
9-देशभक्ति का मतलब सिर्फ प्रेम नहीं, बल्कि देश के प्रति जिम्मेदारी भी है”
10-हमारा लक्ष्य अनंत आकाश जितना ऊंचा हो सकता है, लेकिन हमें अपने मन में हाथ से हाथ मिलाकर आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए, क्योंकि जीत हमारी ही होगी।”
11- “आप शांति को स्वतंत्रता से अलग नहीं कर सकते क्योंकि कोई भी व्यक्ति तब तक शांति में नहीं रह सकता जब तक उसे अपनी स्वतंत्रता न मिले।”
12-“मेरा कवि हृदय मुझे राजनीतिक समस्याओं का सामना करने की शक्ति देता है, खासकर उन समस्याओं का जो मेरे विवेक पर असर डालती हैं।”
13-“गरीबी हटाओ” का नारा लगाकर चुनाव जीतना आसान है, लेकिन नारे गरीबी नहीं हटाते।”
14-“जीत और हार जीवन का हिस्सा हैं, जिन्हें समभाव से देखा जाना चाहिए।”
15- “भ्रष्टाचार के बारे में कोई समझौता नहीं हो सकता।”
16-“अपना देश एक मन्दिर है, हम पुजारी हैं, राष्ट्रदेव की पूजा में हमने अपने आपको को समर्पित कर देना चाहिए”
17-“ऊँची से ऊँची शिक्षा क्यों न हो, इसका आधार हमारी मातृभाषा होनी चाहिए।”
18-जलना होगा, गलना होगा और हमें कदम मिलाकर एक साथ चलना होगा।”
19-“इंसान बनो। केवल नाम से नहीं, रूप से नहीं, शक्ल से नहीं। हृदय से, बुद्धि से, संस्कार से, ज्ञान से।”
20-“मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन जीते जाते हैं”
अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी पर, भारत सरकार ने एक ₹100 का स्मारक सिक्का जारी करने का निर्णय लिया है। यह सिक्का शुद्ध चांदी (99.9%) से बना होगा और इसका वजन 40 ग्राम होगा, जिसमें 44 मिमी व्यास और 200 सेरेशन्स किनारे पर होंगे।
रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल