अलविदा 2020 – सिंहावलोकन ओटीटी बना मनोरंजन का बादशाहओटीटी बना मनोरंजन का बादशाह

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वेब सीरीज ने खोला संभावनाओं का नया बाजार


राकेश कुमार अग्रवाल
तकनीकी के इस दौर में मनोरंजन की दुनिया भी तकनीकी के हवाले हो गई है . बदलते वक्त के साथ तेजी से बदलाव हो रहे हैं . बात करने एवम सूचनाओं संदेशों के आदान प्रदान का माध्यम मोबाइल मनोरंजन का सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा है . 70 एमएम के परदे का कारगर विकल्प बनकर उभरा है 6 इंच का मोबाइल स्क्रीन . यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि कोरोना काल में ओटीटी ( ओवर द टाॅप ) मनोरंजन का बादशाह बन गया है .
तीन – चार दशक पहले बडे परदे पर ठीक ठाक फिल्में हफ्तों तो हिट फिल्में कई कई महीनों चला करती थीं . किसी ने सोचा भी नहीं था कि परदे की साइज भी घटेगी . घर घर टेलीविजन हो जाने के बाद दूरदर्शन ने हर रविवार को फिल्म दिखाना शुरु किया . तब पूरा घर सब कामकाज छोडकर टीवी से चिपक कर बैठ जाता था . कभी कोई एडल्ट सीन या डायलाॅग होता तो या तो उसे सेंसर कर दिया जाता था या फिर बडे लोग लघुशंका या पानी पीने के बहाने कमरे से उठकर चले जाते थे . स्मार्टफोन की आमद ने तो जैसे मनोरंजन की दुनिया ही बदल डाली . स्टोरेज कैपेसिटी व मोबाइल की रैम बढने , पिक्चर क्वालिटी व साउंड क्वालिटी बढने का असर यह हुआ कि मोबाइल पर फिल्म व वेब सीरीज देखना सहज व सरल हो गया . आज आप मोबाइल को तीसरा परदा या मनोरंजन का पर्सनल मिनी परदा भी बोल सकते हैं . कोरोना काल को आप पर्सनल मिनी परदे का स्वर्ण युग कह सकते हैं . जब पूरे देश में सिनेमाहाल में तालाबंदी थी . छोटे परदे पर भी फिल्म रिलीज करने में फिल्मकार हिचक रहे थे तब मिनी पर्सनल परदा सबसे कारगर विकल्प बनकर उभरा . ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स , हाॅट स्टार व अमेजान प्राइम पर नई फिल्मों के रिलीज की होड लग गई . 24 जुलाई को हाॅटस्टार पर सुशांत सिंह राजपूत की अंतिम फिल्म दिल बेचारा को देखने की दीवानगी चरम पर नजर आई . जुलाई के अंत में ही अमेजन पर विद्या बालन की फिल्म शकुंतला , हाटस्टार पर लूटकेस , तो नेटफ्लिक्स पर रात अकेली है रिलीज हुई . अगस्त माह में विद्युत जामवाल की खुदा हाफिज , जान्हवी कपूर की गुंजन सक्सेना – द कारगिल गर्ल रिलीज हुई . सितम्बर माह में 90 के दशक की सुपर हिट फिल्म सडक का सिक्वल सडक 2 रिलीज हुई . जिसे दर्शकों ने बुरी तरह नकार दिया . हाॅटस्टार पर रिलीज होने वाली अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म लक्ष्मी बाॅम्ब के नाम को लेकर जब आपत्ति जताई गई तो फिल्मकार ने इसका नाम बदलकर लक्ष्मी कर दिया . फिल्म को तो दर्शकों ने नकार दिया . हालांकि फिल्म में शरद केलकर अपनी छोटी सी भूमिका में तारीफें बटोर ले गए . अमिताभ बच्चन की फिल्म गुलाबो सिताबो का प्रीमियर अमेजान पर हुआ तो ईशान खट्टर की खाली पीली भी मिनी परदे पर प्रदर्शित की गई . बडे बैनर व बडे नाम की इन फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए ओटीटी प्लेटफार्म ने भारी भरकम पेमेंट अदा किया .
डेढ साल पहले तक ओटीटी प्लेटफार्म की जो संख्या महज तीन दर्जन थी बढकर एक सैकडा पहुंच गई है . ओटीटी प्लेटफार्म की लोकप्रियता का एक बडा कारण वेब सीरीज हैं . जो अपने बेबाक और रियलिस्टिक अंदाज के कारण युवाओं की पहली पसंद बन गई हैं . ओटीटी पर वेब सीरीज की भरमार रही . जिस कारण कोरोना काल में भी दर्शकों को मनोरंजन की भरपूर खुराक मिलती रही . तमाम बडे कलाकारों और फिल्मकारों ने ओटीटी की ओर रुख किया . जिस तरह से देश में बाहुबली के दूसरे पार्ट का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था कमोवेश वैसा ही इंतजार वेब सीरीज मिर्जापुर के दूसरे सीजन को लेकर था .
वर्ष 2020 में दर्जनों वेब सीरीज अपने कंटेंट , कलाकारों के अभिनय व कसे निर्देशन के कारण सुर्खियों का विषय भी बनीं और खूब देखी भी गईं . ओटीटी पर अपराध व एडल्ट कंटेंट आधारित वेब सीरीज छाई रहीं . दिल्ली के निर्भया कांड की पडताल करती वेब सीरीज डेल्ही क्राइम कलाकारों के दमदार अभिनय व शानदार प्रस्तुतिकरण के कारण बेहद सफल रही . नीरज पांडेय निर्देशित व अभिनेता के के मेनन की स्पेशल ऑप्स , अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के प्रोडक्शन की जयदीप अहलावत व अभिषेक बनर्जी की पाताल लोक , सुष्मिता सेन की आर्या , अभिषेक बच्चन की ब्रीथ – इनटू द शैडोज , पंकज त्रिपाठी की मिर्जापुर सीजन टू , लारा दत्ता की हंड्रेड , जिमी शेरगिल की योर ऑनर , बाॅबी देओल की आश्रम , दिव्येंदु की बिच्छू का खेल , हर्ष छाया व दिव्येन्दु भट्टाचार्य की अनदेखी , 1992 में हुए शेयर घोटाले के मास्टरमाइंड हर्षद मेहता पर हंसल मेहता निर्देशित वेब सीरीज स्कैम 1992 , व विक्रम सेठ के चर्चित उपन्यास ए सूटेबल ब्बाॅय पर बनी वेब सीरीज इस वर्ष की उन चर्चित वेब सीरीज में थीं जिन्होंने लाॅकडाउन में लोगों के खाली समय को भरा एवं उनको सिनेमाघरों की तालाबंदी में भी बोर नहीं होने दिया . इसके अलावा नक्सलबाडी , होस्टेज , रक्तांचल , एक हसीना थी , माफिया , लाल बाजार , काली , डार्क सेवन व्हाइट , मुम्भाई , अभय को भी दर्शकों ने खूब देखा . फोर मोर शाॅट्स प्लीज व भाग बेनी भाग में महिला किरदारों को नए अत्याधुनिक अंदाज में गढ कर उन्हें एक्सप्लोर किया . इसमें बोल्ड अंजाज में महिला किरदारों का स्टैंड अप करने का प्रयोग सर्वथा जुदा था .
जिन दो वेब सीरीज की चर्चा करना जरूरी है वे दोनों वेब सीरीज अमेजन प्राइम पर रिलीज हुईं . कोटा फैक्टरी व शुभ मंगल सावधान फेम जितेन्द्र कुमार अभिनीत पंचायत एवं आनंद कुमार की शास्त्रीय संगीत बनाम पाॅप कल्चर पर नसीरुद्दीन शाह , अतुल कुलकर्णी व राजेश तैलंग अभिनीत वेब सीरीज बंदिश बैंडिट नई हवा के झोंके की तरह थीं . सबसे कम खर्चे में बनी पंचायत वेब सीरीज गांवों में पंचायत प्रतिनिधि , ग्राम प्रधान व पंचायतों में काम करने अधिकारी को लेकर पैदा होने वाली विसंगतियों को उभारा गया है . आमतौर पर लो प्रोफाइल शो प्राथमिकता में नहीं होते हैं इसलिए यह सीरीज हटकर रही . जहां तक सवाल बंदिश बैंडिट का है . यह वेब सीरीज ट्रैंड सैटर की तरह रही . यह सीरीज यह बताने में भी सफल रही कि शास्त्रीय संगीत को भी यदि बेहतर कहानी व सलीके से परोसा जाए तो दर्शक उसे जरूर पसंद करता है .
देश का एक वर्ग वेब सीरीज में हिंसा , गालीगलौज और अश्लील दृश्यों को लेकर जरूर सेंसरशिप की मांग कर रहा है . आने वाले 3-4 वर्षों में देश में ओटीटी का टर्न ओवर 20- 25000 करोड तक पहुंचने का अंदाज लगाया जा रहा है . वेब सीरीज के प्रति बढते रुझान का कारण उसका रियलिस्टिक नजर आना भी है जो ठूंसा हुआ नहीं स्वाभाविक सा लगता है . जबकि टीवी चैनलों पर परोसे जाने वाले धारावाहिक कहीं ज्यादा अतिरंजित व कल्पना की उडान लगते हैं . ओटीटी की बढती लोकप्रियता , बढता दर्शक वर्ग साबित कर रहा है कि मिनी पर्सनल पर्दा मनोरंजन का नया बादशाह बन गया है .

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