इचौली(हमीरपुर) मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा के जंगल में लगे दो लाख से अधिक हरे भरे प्राचीन पेड़ों की कटाई के राज्य सरकार के निर्णय के पर हमीरपुर जिले के युवाओं ने भी विरोध के स्वर बुलंद कर दिए हैं। इस मामले में बुन्देलखण्ड के युवाओं ने ट्विटर, फेसबुक के अलावा अन्य सोशल साइट पर पेड़ों को बचाने की मुहिम शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि बकस्वाहा के जंगल में 3.42 करोड़ कैरेट के हीरे 2.15 लाख से ज्यादा पेड़ काटकर निकालना प्रस्तावित है। इस प्राचीन जंगल में सागौन, अर्जुन, शीशम, जामुन, बेल, पीपल, तेंदू, बहेरा सहित अन्य औषधीय व जीवन उपयोगी पेड़ हैं। लो जो 2.15 लाख पेड़ काटे जाने हैं, इनमें 40 हजार पेड़ सागौन के हैं। अर्जुन के पेड़ भी करीब 10 से 12 हजार हैं। यहां 382.131 हेक्टेयर जमीन में घना जंगल है। इस जंगल में सेही, हिरन, बारहसिंगा, लोमड़ी, बंदर, काले मुंह के बंदर, चिंकारा, मोर, गिलहरी, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ते बड़ी संख्या में हैं। लोगों की मानें तो यहां विलुप्त प्रजाति के जीव जंतु भी मिलते हैं तथा तेंदुओं के होने की आहट भी मिलती रही है। जंगल काटे जाने से इनका जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा।
बक्सवाहा में बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत 20 साल पहले एक सर्वे शुरू हुआ था। दो साल पहले प्रदेश सरकार ने इस जंगल की नीलामी की थी जिसे आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने खनन खरीदा था। हीरा भंडार वाली 62.64 हेक्टेयर जमीन को मध्य प्रदेश सरकार ने इस कंपनी को 50 साल के लिए लीज पर दिया है।
पिछले कुछ दिनों से हमीरपुर जनपद में भी इस मामले को लेकर पर्यावरण प्रेमी सोशल साइट्स व इंटरनेट मीडिया पर लगातार विरोध कर रहे हैं।
पर्यावरण प्रेमी सौरभ मिश्रा ने कहा
हमारे बुन्देलखण्ड के लोग वर्षों से सूखा जैसी गंभीर प्राकृतिक आपदाएं झेलते चले आ रहें है। जिसका प्रमुख कारण बुन्देलखण्ड की नदियों, पहाड़ों व जंगलों का अंधाधुंध दोहन है।
हम किसी भी कीमत पर बुन्देलखण्ड को बंजर नहीं होने देंगे, पेड़ों को कटने नहीं देंगे, वन्य जीवों की रक्षा हेतु अपने प्राण न्यौछावर कर देंगे। समय आने पर भारी संख्या में बकस्वाहा जाकर सभी पेड़ों पर चिपक जाएंगें। सरकार को पेड़ों से पहले हमारे ऊपर आरा चलाना होगा।
सौरभ मिश्रा