उत्तर प्रदेश – हवाई सेवा की बदल रही है सूरत

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राकेश कुमार अग्रवाल

कहा जाता है कि वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता . दौर कितना भी बुरा रहा हो लेकिन बदलता जरूर है . उत्तर प्रदेश में भी आवागमन व यातायात सेवाओं व सुविधाओं का चेहरा भी अब बदलाव की करवट ले चुका है .

समय को सबसे ज्यादा कीमती माना जाता है . फिर भी देश में परिवहन सुविधा अभी भी बैलगाडी युग में ही थी . जबकि पश्चिमी और यूरोपीय देशों में बुलेट ट्रेनों से लेकर हवाई यात्रा का एक तगडा नेटवर्क है . हवाई यात्रा मंहगी जरूर होती है लेकिन कम समय में मंजिल तक पहुंचने का इससे बेहतर और कारगर माध्यम कोई नहीं है . प्रधानमंत्री मोदी नाश्ता काबुल में , दोपहर का लंच लाहौर में और डिनर दिल्ली में कर लेतेे हैं ऐसा हवाई सुविधा के कारण ही संभव होता है .
उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जहां सबसे ज्यादा 5 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होने जा रहे हैं . दुनिया के तमाम विकसित और विकासशील देशों में हवाई यात्रा को सबसे सरल व सुगम माना जाता है . जहां छोटे छोटे शहरों में भी एयर कनेक्टिविटी के साथ हवाई सेवाओं का संचालन है .

जबकि भारत में आज भी हवाई सेवाये अभी भी अन्य विकसित और विकासशील देशों के बनिस्पतन बहुत ही कमतर हैं . अमेरिका जैसे देश में 14712 हवाई अड्डा हैं . ब्राजील में 4093 , मैक्सिको में 1714 , कनाडा में 1467 और रूस में 1218 हवाई अड्डा हैं . जबकि भारत में महज 486 हवाई अड्डा हैं . इससे सहजता से समझा जा सकता है कि हवाई सेवा के विस्तार को सरकारों ने जानबूझकर आम आदमी की पहुंच तक नहीं बनाया . उत्तरप्रदेश जैसे विशालकाय राज्य व जिस राज्य में तमाम बडे शहर हों उस राज्य में भी महज 21 एयरपोर्ट हैं . सात हवाई पट्टियों का निर्माण चल रहा है . गनीमत यह है कि गत तीन वर्षों में उत्तर प्रदेश में गोरखपुर , हिंडन , आगरा , प्रयागराज व बरेली में हवाई सुविधा चालू हो गई है .
गौरतलब है कि वर्तमान में देश में महज 34 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हैं . जिनमें सबसे ज्यादा 4 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा केरल राज्य में हैं . उत्तरप्रदेश में अभी तक केवल लखनऊ और बनारस को मिलाकर दो अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा थे . कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा को हरी झंडी मिल चुकी है . जबकि अयोध्या में निर्माणाधीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के 2022 में एवं नोएडा का जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा के 2024 में चालू होने की संभावना जताई गई है .
देश में हवाई सुविधा को शुरु हुए यूं तो 90 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद हवाई यात्रा सुविधा की वह प्रगति नहीं हुई जो होना चाहिए थी . मुम्बई का जुहू देश का पहला नागरिक हवाई अड्डा है जिसे 1928 में विले पारले उड्डयन क्लब के नाम से खोला गया था . एवं 15 अक्टूबर 1932 को यहीं से भारत की पहली नागरिक उडान कराची के लिए भरी गई थी . उस समय तक पाकिस्तान अस्तित्व में नहीं आया था . कराची भारत का ही एक शहर था .

हालांकि बीते एक दशक में हवाई यात्रा के प्रति देश में जबरजस्त क्रेज बढा है . नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ( डीजीसीए ) के अनुसार वर्ष 2018 में देश में 13.9 करोड घरेलू यात्रिओं ने हवाई यात्रा की . आईएटीए के अनुसार 2018 में लगातार चौथे साल हवाई यात्रिओं की संख्या में 18.6 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई . 2017 में यह बढोत्तरी 17.3 फीसदी थी . 2016 में यही वृद्धि 23.2 फीसदी एवं 2015 में घरेलू यात्रिओं की संख्या में यह ग्रोथ 20.3 फीसदी थी . उछालें भर रहा हवाई सेवा उद्योग कोरोना के कारण फिर से अस्त व्यस्त हो गया है . एवं उसकी ग्रोथ में ब्रेक लग गया है .

हवाई सेवाओं को विस्तार देना वक्त तकाजा है .

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