एसिड अटैक सर्वाइवरों ने पांचवें दिन भी अनवरत मानवता की सेवा जारी रखी

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कोरोना कहर के बीच इंद्रदेव का कहर वाराणसी रेलवे स्टेशन आने वाले श्रमिकों के लिए लगाए गए टेंट उड़े…

रिपोर्ट – राजकुमार गुप्ता, वाराणसी

वाराणसी: आपने लोगों को अक्सर यह कहते हुए सुना होगा कि बुरा वक्त जब आता है तो चारों तरफ से आता है और बहुत कुछ कर गुजरता है। ये कहावत वाराणसी रेलवे स्टेशन पर इन दिनों बिल्कुल ठीक बैठती है जहां बाहरी राज्यों से आने वाली श्रमिकों के लिए बनाए गए पंडाल बीते शनिवार को 8 बजे के लगभग आंधी और पानी में ढह गये। जहां आंधी तूफान थमने के बाद राहत कार्य में लगे लोग बरसात में खड़े होकर अपनी सेवा कार्य करते रहे।

शनिवार को आई आंधी और पानी ने ऐसा तांडव मचाया की श्रमिकों के लिए लगाया टेंट हवा में उड़कर टूटकर गिर गया, जहां बाहरी राज्यों से आने वाली बसें तथा श्रमिकों ने उक्त पंडाल राहत शिविर के नीचे अपना डेरा जमाया था। इस दरमियान जिले के कई हिस्सों में घंटों लाइट भी कटी रही, इस आंधी, पानी और ओले ने ऐसी तबाही मचाई की ग्रामीण अंचलों के कई पेड़ पौधे भी गिर गए हैं।

बारिश थमने के बाद फिर की गई स्क्रीनिंग की शुरुआत वाराणसी रेलवे स्टेशन में आंधी और बारिश थमने के बाद वाराणसी जिले के मूल निवासी एवं बाहर से आए श्रमिकों की स्क्रीनिंग यात्री प्रतिक्षालय में डॉक्टर तथा स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा शुरू की गई, जहां लंबी-लंबी कतारों के साथ श्रमिकों ने स्क्रीनिंग करवाई।

यहां निःस्वार्थ भाव से फंसे प्रवासी मजबूर मजदूरो बेसहारों व वंचित समुदाय को भोजन पैकेट व खाद्य सामग्री पहुँचा रहे है। समय-समय पर उनका हाल पुछ रहे है। वाक़ई क़ाबिले तारीफ़ है!

बेबस-लाचार श्रमिक, जो वाराणसी शहर में भ्रमित है उनका अंदरूनी घाव कोई मानवीय भाव ही समझ सकता है लेक़िन दुखियारी तेजाब पीड़िताओ ने समझा और उनको हरसंभव मदद तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया। ना कोई राजनीतिक पार्टी ना कोई चुनावी लॉटरी की होड़ सिर्फ़ और सिर्फ़ मानवता के नाते उनके ज़ख्म पर अपनत्व का मरहम लगा अपने मानवीय फ़र्ज़ की अदायगी कर रही है। देश जिनका आज मुरीद हो गया है।

ना लाभ ना हानि ये है मानवता की कहानी!!

वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पिछले दो माह पूरा देश लाॅकडाउन रहा और सारी गतिविधियां रूक सी गई। परन्तु ऐसे समय हमारे डाक्टर, नर्स, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी सहित प्रशासनिक अधिकारियो, समाजसेवियो ने जिस तरह की भूमिका निभाई उसकी आज सर्वत्र प्रंशसा हो रही है। ऐसे ही एक योद्धा अजय पटेल है जो वाराणसी में देश के पहले एसिड पीड़िताओ के स्वामित्व में आरेंज कैफे संचालित कर रहे हैं जिनकी जितनी तारीफ की जाए वो कम होगी। वैसे तो अजय पटेल ने पिछले दो माह से कहर बरपाती गर्मी, आंधी-तूफान, बरसात, दिन हो या रात हमेशा तत्परता से 11 हजार से अधिक भोजन पैकेट जरूरतमंदों तक पहुंचाया है। अजय पटेल ने नारायण सेवा ही मानव सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य मानकर इस कर्तव्य को निभाया है। परंतु यहां अजय पटेल के मात्र इस कर्तव्य की ही बात नही हो रही है। बल्कि कोरोना महामारी के दौरान फंसे लोगों को गंतव्य तक पहुंचाने का भी कार्य कर रहे है। इनके जज्बे के आगे कोरोना का भय उतना नहीं जितना इन प्रवासी मजदूरों की जान बचाने की फिक्र है अजय ने कई लोगों को गंतव्य तक पहुंचाया। इसी तरह इस कोराना योद्धा अजय पटेल ने लाॅकडाउन के दौरान लगभग 400 से अधिक लोगों को सरकारी व नीजी वाहनो से दुरस्थ स्थानो तक पहुंचाकर एक सराहनीय कार्य किया। ऐसे योद्वा के जज्बे को सलाम। वह भी उस अनजान शहर में जहां कभी पांव नहीं पड़े। इन मजदूरों को सिर्फ मानवता की नि:स्वार्थ सेवा जिंदा रखने का काम कर रहा है। यहां सिर्फ एक ही रिश्ता नजर आ रहा है वह है मानवता का।सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि ऑरेंज कैफे, एक्सन एड और रेड ब्रिगेड की पहल पर ये अभियान लाकडाउन खत्म होने तक अनवरत जारी रहेगा। इस अभियान में एसिड अटैक सर्वाइवर बदामा देवी, संगीता कुमारी, शन्नो सोनकर, विमला देवी और सोमवती सहित संस्था के इस पुनीत कार्य में एसडीएम सदर महेंद्र कुमार श्रीवास्तव, भेलूपुर थाना अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह तथा प्रकाश सिंह चौकी इंचार्ज दुर्गाकुंड का उल्लेखनीय सहयोग रहा। एक्शन एड के सहयोग से इस टीम में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख अजय पटेल के साथ शिमांशु श्रीवास्तव, विशाल, ओम, अभिषेक, ग्राम्या संस्थान के सह निदेशक सुरेंद्र यादव सहित सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता सक्रिय रूप से भूमिका निभा रहे है।

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