राकेश कुमार अग्रवाल
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने कोरोना काल में सोमवार को सदन में जो बजट पेश किया है उसने सरकार की प्राथमिकताओं का न केवल खाका खींच दिया है बल्कि सरकार कैसे आगे बढेगी इसकी राह भी दिखा दी है . बजट के बाद जिस तरह सेंसेक्स ने उडान भरी है उससे संकेत मिलते हैं कि बाजार व उद्योग ने बजट का स्वागत किया है .
स्वास्थ्य के मद में बजट में जिस तरह से इजाफा किया गया है वह स्वास्थ्य ढांचे के लिए नितांत आवश्यक था . कोविड १९ के बाद ही सही सरकार ने जो पहल की है वह देर आयद दुरुस्त आयद करार दी जाएगी . वैक्सीन मद के लिए 35000 करोड रुपए का अलग से किया गया प्रावधान साबित करता है कि वैक्सीन को लगवाने के लिए लोगों को अपनी जेब से पैसा नहीं फूंकना पडेगा . आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत के लिए 64180 करोड का प्रावधान एवं स्वास्थ्य के लिए 2.23 लाख करोड रुपए के प्रावधान से स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी . लेकिन बेहतर तो यही होगा कि ऐलोपैथी ही नहीं अन्य प्रचलित पैथियों के ढांचे को भी पर्याप्त बजट आवंटन हो एवं उन्हें भी तवज्जो दी जाए ताकि आयुष एवम अन्य पैथियों के साथ बरती जा रही उपेक्षा खत्म हो .
किसानों के लिए बजट में दो महत्वपूर्ण घोषणायें की गईं एक तो एमएसपी का डेढ गुना बढाने की घोषणा . इस घोषणा के निहितार्थ साफ हैं ताकि किसानों को लेकर एवं कृषि सुधार विधेयकों को लेकर एनडीए सरकार की छवि को जो बट्टा लगा है उसको वापस चमकाया जाए एवं किसान हितैषी सरकार की छवि पेश की जा सके . किसानों के लिए 16.5 लाख करोड के कृषि कर्जों की भी बात कही गई है . किसानों को आसानी से ऋण सुविधा मिले यह सरकार की अच्छी मंशा है . लेकिन सवाल यह है कि किसानों को ऋण के जाल में उलझाने का खेल कब तक चलेगा . बेहतर तो यह होता कि उनकी आय बढाने के लिए वांछित मूलभूत ढांचे को ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत बनाने की घोषणा की जाती . कोई कार्य योजना पेश की जाती .
एक तरफ किसानों के लिए लुभावनी घोषणायें की गईं तो दूसरी तरफ डीजल पर भारी भरकम चार रुपए का एग्रीसेस लगाने की घोषणा से यही संकेत जाएगा कि किसानों को एक हाथ से सरकार दे रही है तो उनसे दूसरे हाथ से छीन भी रही है . क्योंकि डीजल पर सेस लगने से केवल किसान ही प्रभावित नहीं होगा बल्कि इससे ट्रांसपोर्ट मंहगा होगा . जिससे निश्चित तौर पर उपभोक्ता सामग्री की कीमतों में इजाफा होगा . मंहगाई का एक नया मोर्चा आम आदमी और मध्यम वर्ग के लिए खुल जाएगा .
रेलवे ने राष्ट्रीय रेल योजना का जो खाका रखा है वह अच्छा कदम है . जो रेलवे में भविष्य में संभावित प्लान पर चलने की राह दिखाएगा . मेट्रो परियोजना पर तेजी से काम बढना वक्त की जरूरत है . वर्ष 2021-22 के लिए हाइड्रोजन एनर्जी मिशन शुरु करने का प्रस्ताव पर्यावरण के लिए एक सुखद संकेत लेकर आया है . इस मिशन को यदि मिशन मोड पर लिया जाए तो आने वाले दौर में हरित ऊर्जा के लिए नई राह खुल जाएगी .
शिक्षा के क्षेत्र में 100 नए सैनिक स्कूलों , आदिवासी इलाकों में शिक्षा को बढावा देने के लिए 758 एकलव्य स्कूलों , लेह में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है .
कोरोना के कारण एक साल शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो गई . इसकी भरपाई कैसे होगी इस पर भी बजट में कोई रास्ता सुझाया गया होता तो बेहतर होता . जनगणना को डिजिटल फार्मेट में कराए जाने की घोषणा एक समीचीन फैसला है इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि आँकडों को प्रोसेस करने में आसानी होगी . डिजिटल पेमेंट को बढावा देने के लिए 1500 करोड के इंसेटिव की घोषणा भी वक्त की मांग है . डिजिटल साक्षरता को भी ग्रामीण क्षेत्रों में बढाने की जरूरत है .
ड्यूटी दर में वृद्धि से मोबाइल व आटो पार्टस मंहगे होने के कारण इनकी कीमतों में इजाफा होगा . जिसका सीधा फर्क मध्यम वर्ग को पडेगा . उसे टैक्स स्लैब में तो कोई बेनेफिट मिला नहीं है . पेट्रोल , डीजल पर सेस के प्रस्ताव से ईंधन मंहगा , ड्यूटी बढने से मध्यम वर्ग के इस्तेमाल की मोबाइल खरीदने व अपनी कार की चाहत जरूर मंहगी हो जाएगी . हालांकि स्टील , सोना , चांदी , तांबा का सस्ता होना उने लिए एक राहत भरी खबर जरूर है . नए स्टार्टअप्स को एक साल तक टैक्स से मुक्त करने की घोषणा स्वागतयोग्य है . बीमाक्षेत्र में 74 फीसदी एफडीआई की घोषणा से तमाम विदेशी कंपनियों के कारोबार का रास्ता खुल गया है . इससे हो सकता है कि उपभोक्ताओं को भी प्रतिस्पर्धा के दौर में जरूर कुछ लाभ मिलेगा . एलआईसी को आईपीओ लाने की इजाजत के बाद ऐसी भी संभावना हो सकती है कि एलआईसी अपने क्षेत्र को फैलाए . 75 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को इन्कम टैक्स से मुक्त करने , आईटीआर दाखिल करने से मुक्ति एवं पेंशन से कमाई पर टैक्स से मुक्ति मानवीय एवं सराहनीय फैसला है यदि इसकी उम्र 75 से घटाकर 70 वर्ष किया जाता तो सीनियर सिटीजन के लिए बेहद लाभकारी घोषणा मानी जाती .
कोरोना काल में तबाह अर्थव्यवस्था के दौर में यह एक दूरगामी बजट हैै . लेकिन इस बजट से मंहगाई को थामना आसान न होगा .