कोरोना काल में पढ़ाई से विमुख बच्चों से टीसी व अंक-पत्र की अनिवार्यता खत्म की जाए

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मनमानी फीस, बस्ते के बढते बोझ आदि समस्याओं को लेकर सदर विधायक ने सीएम को लिखी चिट्ठी
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बांदा / सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने कोरोना काल मे शिच्छण कार्य से विमुख हुये बच्चों के अभिभावकों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुये प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि शिच्छण सत्र 2022-23 मे प्रवेश के लिये बच्चों के अभिभावकों से टीसी,अंकपत्र, आदि की बाध्यता और विविध प्रकार के शिच्छण शुल्क पर पूर्णतया रोक लगायी जाये। उन्होने लिखा है कि कोरोना जेसी वैश्विक महामारी के कारण पूरे प्रदेश का अभिभावक भारी आर्थिक तंगी और भीषण परेशानी से गुजरा है। बहुत से अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्वयं के मार्गदर्शन में पढ़ाया है। और तमामअभिभावकों ने बच्चों को कोरोना के प्रकोप से बचाने के लिये उनका नाम बीच सत्र में ही विद्यालयों से कटवा लिया था।जिस कारण इस नए सत्र 2022 _2023 के लिए जिन बच्चों के माता-पिता प्रवेश कराने के लिए निजी शिक्षण संस्थानों में जा रहे हैं , उन संस्थानों के प्रधानाचार्य बच्चों की अंक तालिका और स्थानांतरण प्रमाण पत्र की मांग कर रहे है। ऐसी स्थिति मे सवाल उठता है कि जब बच्चों ने कोरोना वायरस के कारण घर में ही रहकर पढ़ाई की है , किसी विद्यालय में प्रवेश ही नहीं लिया है ,तो उस बच्चे की टी सी और अंक पत्र आखिर कौन सा विद्यालय जारी करेगा ?
विधायक ने कहा है कि इन हालातों के मद्देनजर प्रदेश के सभी विद्यालयों को चाहिए कि कोरोना काल में ऐसे पीड़ित अभिभावक जो भारी आर्थिक तंगी के कारण पहले से ही परेशान चल रहे हैं ।ऐसे सभी अभिभावकों से इस नए सत्र के लिए किसी भी प्रकार की टी सी अथवा अंक पत्र जमा करने के लिए दबाव न डाला जाए। किस क्लास से किस क्लास तक किसी प्रकार की टी सी अथवा अंक तालिका की आवश्यकता नहीं होती है,यह निर्देश स्पष्ट रूप से प्रदेश के जिला अधिकारियों को निर्गत किए जाएं।साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि बच्चों के अभिभावकों से एडमिशन फीस, विविध खर्च, परीक्षा फीस आदि की वसूली न की जाए। मात्र न्यूनतम ट्यूशन फीस ही ली जाए।
मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र मे सदर विधायक ने यह भी अनुरोध किया है कि इस वर्ष स्कूल फीस में वृद्धि न की जाये।साथ ही अभिभावकों को जो रसीद दी जाए,उसमें ट्यूशन फीस का स्पष्ट रूप से विवरण दर्शित किया जाए।

बच्चों से भारी बस्तों का बोझ
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सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने कहा है कि बाल्यकाल की शिक्षा के लिए वैसे तो कोई पाठ्यक्रम नहीं है। लेकिन निजी शिक्षण संस्थानों के मालिकान मनमानी कर रहे हैं। प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें जबरन थोपकर अभिभावकों का मानसिक और आर्थिक ,शोषण कर रहे है ।सब जानते हुये भी अभिभावक खामोश हैं। बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए किसी भी निजी शिक्षण संस्थान की शिकायत खुलकर करने की स्थिति में नहीं है।जिस कारण दिन प्रतिदिन बच्चों का स्कूली बैग भारी हो रहा है । बार-बार पाठ्यक्रम बदलने से शिक्षा महंगी होती जा रही है। पर्यावरण को बचाने के लिए जरूरी है कि स्कूल बैग पॉलिसी 2020को लागू की जाए। सीबीएसई, एनसीईआरटी द्वारा प्रत्येक क्लास के लिए नियत संख्या में शासकीय प्रकाशन की किताबे चलाई जाए। गैर जरूरी पाठ्यक्रम को हटाया जाए और भारी पड़ रहे स्कूल बैग को हल्का किया जाए।
विधायक ने मुख्य मंत्री को भेजे पत्र में बिना किसी विद्यालय अथवा स्कूल के नाम का उल्लेख किए हुये कहा है कि अभिवावक इस समय भारी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है । परंतु निजी शिक्षण संस्थानों के द्वारा बच्चों की स्कूली शिक्षा के नाम पर लगातार प्रदेश के भोले भाले अभिवाभक का उत्पीड़न किया जा रहा है। बच्चो के अभिभावक पिता,मां, बहन,भाई जबर्दस्त आक्रोश में है। सदर विधायक ने मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का संपूर्ण ध्यान जनहित और लोकहित में आकर्षित करते हुए कहा है कि मासूम नौनिहालों के नाजुक कंधों में कॉपी किताब रूपी स्कूल बैग को हल्का करने और नए सत्र 2022 _23 के लिए बच्चों को प्रवेश दिलाने में एडमिशन फीस आदि टी सी,अंक तालिका के नाम पर जो व्यावहारिक कठिनाइयां हो रही हैं, उस पर तत्काल अंकुश लगाया जाए । अभिभावकों का विश्वास जीतने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया जाना अति आवश्यक है।

रिपोर्ट- सुधीर त्रिवेदी

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