खाने में कीड़ा मिलने के बाद एनजीओ ने प्रशासन पर मढ़ा दोष

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रायबरेली । रायबरेली में कोरोना महामारी के दौरान जगह जगह पर एनजीओ व समाजसेवियों द्वारा गरीबो को खाना वितरित किया जा रहा है, प्रशासन भी जिले भर में खाना वितरित कराने में जुटा है। दो दिन पूर्व सदर तहसील क्षेत्र में वितरित किये गए खाने में कीड़े निकलने से हड़कम्प मच गया था, मामले में The Reports Today पर खबर प्रकाशित होने के बाद जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना ने जांच के आदेश दिए गए थे, बाद में मामले में शुक्ला खादी ग्रामोद्योग की तरफ से निशुल्क खाना बांटने की बाद सामने आई तो एनजीओ संचालिका पर राष्ट्रीय आपदा एक्ट सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर दिया गया था, अब एनजीओ संचालिका में प्रेस नोट जारी कर प्रशासन की कार्यवाही को दोषपूर्ण बताकर सवाल उठाए हैं और खुद को बेकसूर बताया है।

प्रशासन की अनुमति से बंट रहा था खाना

एनजीओ संचालिका ने प्रेस नोट जारी करते हुए बताया है कि 28 मार्च से सदर तहसील क्षेत्र में सरेनी के पूर्व विधायक के द्वारा खाने के पांच सौ पैकेट बांटने की अनुमति ली गयी थी, और उसके बाद शहर के इलाहाबाद रोड पर स्थित वृंदावन रेस्टोरेंट से पैकेट पैक होकर आते थे, और रोजाना 50 से 60 पैकेट खोलकर चेक भी किये जाते थे तब खाना वितरण को दिया जाता था।

दोषी कौन?

जिस प्रेस नोट के माध्यम से एनजीओ संचालिका ने खुद को बेकसूर बताया है उसके आधार पर सवाल उठते हैं कि मामले में असल दोषी कौन है, क्योंकि खाने में कीड़े थे इससे कोई इनकार नहीं कर सकता तो फिर एनजीओ संचालिका बेकसूर है तो क्या पूर्व विधायक जो गरीबो को खाना खिलाने का कार्य कर रहे थे वह दोषी हैं या फिर वृंदावन रेस्टोरेंट जहां से खाना बनकर आता है या फिर प्रशासन के वे लापरवाह अधिकारी जो खाना देखने तक का टाइम न निकाल सकते हैं, या फिर वह प्रसासन जिसने एनजीओ संचालिका पर कार्यवाही कर दी है, फिलहाल एनजीओ संचालिका ने खुद को बेकसूर बताते हुए प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान जरूर खड़े कर दिए हैं।

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