बेलाताल ( महोबा )
पर्याप्त बारिश न होने के कारण खाली पडे बेलासागर सरोवर में फसल माफियाओं की पौ बारह हो गई है .सरोवर के खाली पड़े भूभाग में फसल उत्पादकों ने कब्जा जमाकर जुताई बुबाई शुरु कर दी है .
बेलासागर सरोवर बेलाताल क्षेत्र की लाइफलाइन माना जाता है . यह दो दर्जन गांवों व कस्बों में जलापूर्ति के अलावा , फसलों की सिंचाई एवं सिंघाडा, कमल ककडी , खीरा , तरबूज, खरबूज , आदि के उत्पादन का मूलाधार माना जाता है . सैकडों परिवारों की रोजी रोटी व जीवनयापन इस सरोवर पर आश्रित है . इस सरोवर पर फसल माफियाओं की नजरें टेढी हो गई हैं . लगभग 2000 एकड़ तालाब की भूमि की फसल उत्पादन के लिए जुताई हो चुकी है . जानकारी होने पर भी जिम्मेदार अफसर कोई कार्रवाई करने के बजाए अनजान बने हुए हैं.
बेलासागर तालाब पर खाली पड़े भूभाग में इन दिनों दर्जनों ट्रैक्टर जुताई करने में रात दिन एक कर रहे हैं . असरदार फसल माफिया तालाब में रबी की फसल की बुवाई करने में जुट गए हैं. तालाब के उत्तर में मुढारी ग्राम की ओर तकरीबन 700 एकड़ में जुताई की जा चुकी है. दक्षिण में लमौरा रोड पर तालाब की भूमि पर पहले से ही दो दर्जन पिपरमेंट के प्लांट लगे हुए हैं . पिपरमेंट की खेती करने वाले किसानों ने सैकड़ों पंपिंग सेट लगाकर तालाब के पानी को खाली किया जा रहा है . जल संस्थान के अवर अभियंता पवन सिंह के अनुसार तालाब में पहले ही नाममात्र पानी है ऐसे में तालाब को खाली करने से मई – जून में जलापूर्ति होना संभव नहीं हो पाएगा . गौरतलब है कि बीते मानसून के दौरान कुलपहाड़ तहसील क्षेत्र में 300 मिलीमीटर बारिश हुई हैं। जलकल अभियंता ने बताया कि रबी की फसल बो रहे लोग आने वाले माह में सिंचाई भी करेंगे जिससे गर्मियों में पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा।
बेलासागर के बड़े भूभाग में रबी की फसल की जुताई बुबाई होने के संबंध में एसडीएम कुलपहाड़ मो. अवेश कहते हैं कि उन्हें अभी तक कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है .
2007 में हुई थी फसल नीलाम
बेलासागर में हर साल अवैध रूप से खेती की जाती है शिकायत भी होती है पर सत्ता से जुड़े कद्दावर नेताओं की सिफारिश पर कोई कार्रवाई कभी नहीं होती। वर्ष 2007 में तत्कालीन एसडीएम प्रांजल यादव ने फसल की नीलामी कराई थी तब लगभग 21 लाख रु का राजस्व प्राप्त हुआ था।
बेहद शातिर हैं भूमाफिया
तालाब की खाली पड़ी भूमि पर अवैध रूप से खेती कर लाखों की उपज लेने वाले माफिया खासे चालाक है जिस जगह वह खुद रबी की फसल की बुवाई कर रहे हैं उसके चारों ओर सैकड़ा भर गरीबों को भी खेती करा रहे हैं। आवारा जानवरों से पहले गरीबों का नुकसान होगा वही गरीब उनकी वह अपनी फसल की सुरक्षा भी करेंगे। कोई कार्रवाई हुई तो इन्हीं गरीबों को आगे कर उनकी भुखमरी का हवाला देकर प्रशासनिक कार्रवाई से बचने की जुगत भिड़ा ली जाती है।