जायस, अमेठी। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश शासन की जहां कई वर्षों से कार्यरत पीपीएस अधिकारी अपने प्रमोशन के आस में कई वर्षों से इंतजार में हैं लेकिन सिर्फ मायूसी के अलावा अभी तक कुछ हाथ नहीं लगा।
अगर बात करें शासन में बैठे उच्च अधिकारीयों की तो प्रत्येक परिस्थिति में चाहे सस्पेंड करना दोषी ठहराना हो और स्पष्टीकरण देना हो सारा ठीकरा पीपीएस के ऊपर फोड़ देते हैं।
वहीं अपना नाम न छापने की शर्त पर एक पीपीएस अधिकारी ने बताया कि कई वर्षों से पीपीएस अधिकारियों का प्रमोशन रोक दिया गया है जिससे हम लोगों का मनोबल टूट रहा है और तो और जब ऐसे पीपीएस अधिकारी के सामने जब उसी के बैच के या उससे कनिष्ठ पीसीएस अधिकारी प्रमोट होकर सामने खड़ा होता है तो यह नजारा उसके लिए कितना तकलीफ़देह होता है पूछना भी ठीक नहीं रहता है । यकीनन होश उड़ जाते है ।
वहीं इस मुद्दे को लेकर पीपीएस एसोसिएशन ने भी कई बार अपनी आवाज उठाई परन्तु शासन में बैठे कुछ अधिकारियों के कान में आवाज गूजी तो कुछ ने नजरंदाज कर दिया।
जब पीपीएस अधिकारियों को एडिशनल एसपी से ज्यादा प्रमोशन नहीं देना है तो निरीक्षकों को ही क्यों ना प्रमोट कर सीओ और एडिशनल पर रखने की व्यवस्था कर ,पीपीएस कैडर को ख़त्म ही कर दिया जाय ।सारी समस्या ही खत्म हो जाएगी। जबकि आईएएस, आईपीएस और पीसीएस का समयबद्ध प्रमोशन शासन के निर्देश पर कर दिया जा रहा है।
इससे तो यह प्रतीत होता है कि पीपीएस अधिकारियों के साथ सिर्फ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है और विभागीय उच्चाधिकारियों के लिए अपने कैरीयर के रास्तों में आने वाले “झटकों” के लिए आघात अवरोधक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। कई जगह देखने को मिला कि पीपीएस अधिकारी होंठों पर मुस्कान लिए और आंखों में आसू भरकर अपना फर्ज निभा रहे हैं।
- शैलेश नीलू