दूसरे फेज में एक्सप्रेसवे का विस्तार बलिया तक किया जाना है, इसके बाद यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे हो जाएगा.
रिपोर्ट – दुर्गेश सिंह चौहान
Ganga expressway: पर्यावरण मंजूरियों संबंधी तमाम दिक्कतों के दूर होने के बाद 602 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट को एक नया जीवन मिल गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा करने की समय सीमा रखी है. मुंबई-नागपुर के 701 किमी लंबे एक्सप्रेसवे के बाद यह दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है. गंगा एक्सप्रेसवे पश्चिम उत्तर प्रदेश में मेरठ से कनेक्ट होगा, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रयागराज से जुड़ेगा. इसके अलावा यह एक्सप्रेसवे 13 जिलों को जोड़ेगा, खासकर बड़े औद्योगिक शहर इससे कनेक्ट होंगे. इनमें मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, राय बरेली, अमेठी, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जैसे शहर शामिल हैं. गंगा एक्सप्रेसवे के दूसरे चरण के मंजूरी के बाद इसका विस्तार पूर्वी उत्तर प्रदेश के अंतिम छोर बलिया तक हो जाता है, तो यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस हो जाएगा, जिसकी लंबाई करीब 900 किमी होगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (UPEIDA) से गंगा एक्सप्रेस को प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणासी तक लिंक करने पर विचार करने के लिए किया है. इस एक्सप्रेसवे के दूसरे चरण का प्रस्ताव पेश किया जा चुका है. इसके तहत गंगा एक्सप्रेसवे का विस्तार बिहार की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के बलिया जिले तक किया जाएगा. दूसरे चरण में गंगा एक्सप्रेसवे का करीब 300 किमी का विस्तार होगा. इसके बाद यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस हो जाएगा. इसके साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे के जाल के जरिए राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ जाएगा.
गंगा एक्सप्रेसवे की खास बातें:
पहले फेज में यह एक्सप्रेसवे 6 लेन का होगा, जिसे 8 लेन तक बढ़ाया जा सकता है. यह मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब 555 गांवों को कवर करेगा, जो एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल गतिविधियों का एक हब है.
प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी UPEIDA ने कंस्ट्रक्शन लागत का अनुमान 23,436.88 करोड़ रुपये जताया है. इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत अतिरिक्त 10,000 करोड़ रुपये है. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 39,298 करोड़ रुपये है.
यह ड्रीम प्रोजेक्ट के पूरा होने से दिल्ली और प्रयागराज के बीच यात्रा का समय मौजूदा 10-11 घंटे से घटकर 6-7 घंटे रह जाएगा.
इस प्रोजेक्ट को एकसाथ शुरू कराया जाए इसके लिए इसे 12 पैकेज में डिवाइड किया जाएगा. हर टेंडर का चयन प्रतिस्पार्धी बिडिंग के जरिए होगा.
इस एक्सप्रेसवे में 292 अंडरपास, 8 RoBs, 10 फ्लाईओवर, 19 इंटरचेंज और 137 ब्रिज बनेंगे.
मायावती सरकार ने 2007 में इस एक्सप्रेसवे का पहली बार प्रस्ताव रखा था. उस वक्त यह 1047 किमी लंबा प्रोजेक्ट था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से 2009 में मिली पर्यावरण मंजूरियां खारिज हो जाने के बाद प्रोजेक्ट ठप हो गया. शुरुआती प्रस्ताव के मुताबिक यह प्रोजेक्ट गंगा बेसिन में था, जिसके चलते यह प्रोजेक्ट अटक गया.
इससे सबक लेते हुए योगी सरकार ने प्रोजेक्ट पर रिवर्क किया और गंगा नदी के तट से 10 किमी दूर से एक्सप्रेसवे को ले जाने का फैसला किया.