महराजगंज, रायबरेली। भूसा व्यापारियों रोक नही लगाई गयी तो जिले में संचालित गौशालाओ पर फिर से पड़ सकता है चारा, भूसा का भारी. कंबाइन मशीन से धान गेंहू फसल की कटाई और अन्य जिलों में भूसे की सप्लाई के दुष्परिणाम फिर से आने वाले है।
रायबरेली जिले गौशालाओ के लिए सितंबर अक्टूबर माह में भूसे की जबरदस्त किल्लत हो गई थी, इससे भूसे के दाम 1500 रुपये कुंतल तक पहुंच गए हैं। हालत ये थे कि प्रशासन को गोवंश आश्रय स्थलों के लिए भूसा ढूंढे नहीं मिल रहा था। भूसे की किल्लत देख शासन ने भूसा जिले के बाहर ले जाने पर रोक भी लगा दी थी।
पुलिस को जिले की सीमा पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। ब्यापारी प्रशासन के आदेश को न मानते हुए फिर से भरी मात्रा में पुवाल,भूसा की सप्लाई अन्य जिलों में धड़ल्ले से कर रहे है। जिले में लगभग 65 गौशाला संचालित है जिनमे हजारो की संख्या में गौवंश मौजूद है।
इन मवेशियों को चारे के लिए प्रशासन को भूसे की जरूरत है। किंतु कमी के चलते भूसा मिल नहीं पा रहा था। शासन ने जिम्मेदार अधिकारियों को भूसा दान करवाने की योजना भी बनाई गई थी लेकिन जबतक योजना बनाई गई तब तक जिले से भूसा बाहर जा चुका था।
भूख से तड़प रहे गौवंशो का पेट भरने के लिए कही चरी तो कही गन्ना कही सरसो का भूसा खिला कर गौवंशो का पेड़ भरा गया। दरअसल रायबरेली से लखनऊ भूसा थोक मंडी करीब होने के कारण जिले से भारी मात्रा में भूसा यहां से व्यापारी ले जाकर बिक्री कर मोटी रकम कमाते है। इस भूसे को वहां के ब्यापारी आसपास जनपद में सप्लाई करते है।
भूसे की कमी और जिले के बाहर खासी मांग होने से दाम बढ़ने के साथ भूसे की किल्लत हो जाती है ।प्रशासन ने जल्द भूसा पैरा पुआल की बहार जा रही गाड़ियों पर रोक नही लगाया तो वह दिन दूर नही फिर से चारे का भारी संकट पड़ने वाला है।
रिपोर्ट- अशोक यादव एडवोकेट