घर के शेरों ने लगाई विदेश में दहाड़

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राकेश कुमार अग्रवाल
भारतीय क्रिकेट टीम को घर का शेर कहा जाता रहा है . ऐसा माना जाता रहा है कि विदेशों में जाते ही भारतीय खिलाडियों का प्रदर्शन रिवर्स गियर में डल जाता है . और घर के शेर विदेशी मैदानों पर बकरी की तरह मिमियाने लगते हैं . इसकी बानगी भी भारत – ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज के पहले टेस्ट मैच में देखने को मिली जब एडीलेड में पूरी भारतीय टीम ने शर्मनाक बल्लेबाजी करते हुए क्लब स्तर की टीम से भी कमतर प्रदर्शन किया और पूरी टीम महज 36 रनों पर ढेर हो गई . पहले ही टेस्ट मैच में भारत की टीम को 8 विकेट से करारी शिकस्त का सामना करना पडा . किसी ने सोचा भी न था कि भारतीय टीम ऐसा पलटवार करेगी कि ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में दिन में तारे दिखा देगी . वह भी कप्तान विराट कोहली और सभी अनुभवी खिलाडियों की गैर मौजूदगी में .
कहते हैं कि जब आपके पास गंवाने के लिए कुछ न हो और पाने के लिए सारा जहां पडा हो तो जूझ जाना लाजिमी होता है . भारतीय रण बांकुरों ने यह साबित कर दिखाया है कि कागजों में टीम क्या बोलती है . आँकडे क्या कहते हैं यह मायने नहीं रखता है . मायने रखता है खेल के मैदान में आपका प्रदर्शन . जिस टीम को चौथे टेस्ट में अंतिम एकादश बनाना भारी पड रहा हो . जिन खिलाडियों के खाते में महज 13 विकेट हों उनके मुकाबले ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खाते में 1046 विकेट हों उससे सहजता से अंदाजा लगाया जा रहा था कि गावस्कर – बाॅर्डर ट्राफी ऑस्ट्रेलिया के कब्जे में रहेगी . भले भारतीय खिलाडियों ने मेलबोर्न के एमसीजी मैदान में ऑस्ट्रेलिया को दूसरे टेस्ट में 8 विकेट से हराकर हिसाब चुकता कर लिया हो . लेकिन तीसरे टेस्ट मैच में भारत फिर हार की कगार पर था . जब रिकार्ड 131 ओवर बल्लेबाजी कर खिलाडियों ने किसी तरह हार के जबडे से मैच को बचा लिया था . टीम के सात दिग्गज खिलाडियों के चोटिल हो जाने , जुझारू कप्तान विराट कोहली के पितृत्व अवकाश पर पत्नी के पास आने के बाद कप्तानी का दायित्व अंजिक्य रहाणे को सौंपा गया . अजिंक्य ऐसे खिलाडियों में शुमार किए जाते हैं जो बेहद कूल हैं . उनमें बडबोलापन नहीं है . एवं गुटबाजी और खेमेबाजी से दूर केवल क्रिकेट खेलने के लिए जाने जाते हैं . ऐसे में यह तय माना जा रहा था कि टीम और सीरीज की हार का ठीकरा रहाणे पर फोड कर भरपाई कर ली जाएगी . स्लेजिंग और नस्लवादी टिप्पणियाँ की बौछारें अलग हो रही थी . हालात कुछ ऐसे थे जैसे अजिंक्य रहाणे और उनकी टीम को अभिमन्यु की तरह घेर लिया गया हो . 19 दिसम्बर को जो टीम दिग्गज खिलाडियों की मौजूदगी में महज 36 रनों पर ढेर हो गई उसी टीम ने ठीक एक माह बाद 19 जनवरी को फिर से मिमयाने के बजाए ऐसा दहाडा जिसकी गूंज केवल ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में ही नहीं पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों ने सुनी . 1983 विश्व कप में जीत की पटकथा जो कपिल की टीम ने लिखी थी उसके बाद से भारतीय क्रिकेट टीम का पूरा चेहरा बदल गया . आईपीएल के आयोजन ने क्रिकेट की लोकप्रियता को घर घर पहुंचाया तो नए खिलाडियों को एक ऐसा प्लेटफार्म मुहैया जिसने टिकट टू बीसीसीआई का रास्ता खोल दिया . हालांकि इससे रणजी ट्राफी , देवधर ट्राफी जैसे घरेलू टूर्नामेंटों के स्तर में गिरावट जरूर आई है .
ब्रिस्बेन में युवा खिलाडियों के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि टीम में पर्याप्त बैकअप है . नई पीढी खेल के प्रति गंभीर है एवं अपना शत प्रतिशत देने के लिए तैयार है . खिलाडी को केवल विदेशी टूर पर ले जाना , बैंच पर बिठाना और पानी , ग्लूकोज की बोतल को ग्राउंड में पहुंचाने तक की भूमिका ही नहीं जरूरत पडने पर वे बल्ले व गेंद दोनों से करिश्मा करने को तैयार हैं . नवोदित खिलाडियों के प्रदर्शन ने उन स्थापित खिलाडियों के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है कि यदि परफार्म नहीं करोगे तो टीम में लंबे समय तक टिक नहीं पाओगे . क्योंकि तमाम युवा खिलाडी आपकी जगह लेने को तैयार बैठे हैं . शुभमन गिल लगातार बिना किसी दबाव में न केवल बल्लेबाजी कर रहा है बल्कि बल्ले से रन भी बटोर रहा है . वाशिंगटन सुंदर और शार्दूल ठाकुर ने तो गेंदबाजी के साथ साथ विदेशी पिच पर बल्लेबाजी के जौहर दिखाकर न केवल अपनी आलराउंड प्रतिभा की झलक दी बल्कि ये भी संकेत दे दिए हैं कि भविष्य में जरूरत पडी तो निचले क्रम पर बल्लेबाजी कर टीम की मंझधार में डूबती नैया को भी किनारे लगा सकते हैं .
अब जबकि इंग्लैण्ड की टीम चार टेस्ट मैच , तीन एक दिवसीय व पांच टी – 20 मैच खेलने के लिए भारत आ रही है . घरेलू मैदान , अपने दर्शक व मनोनुकूल मौसम में सीरीज के रोचक होने की उम्मीद की जा सकती है . फिलहाल तो ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में मात देकर भारत टेस्ट चैम्पियनशिप में अंक तालिका पर सबसे ऊपर पहुंच गया है . नए साल का पहला बडा तोहफा युवा खिलाडियों ने दिया है अब सभी की निगाहें इंग्लैण्ड सीरीज पर है . पहली बार एक नया प्रयोग होने जा रहा है जब सीमित सेंटरों पर ढेरों मैच होने जा रहे हैं . कोरोना के बाद का यह नया प्रयोग कितना कारगर होगा सभी की निगाहें इस आने वाली सीरीज पर रहेंगी .

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