टीम ने मानिकपुर के सरहट, चूल्ही और खंभेश्वर में मौजूद प्राचीन शैलाश्रयों के निशान खोजे
चित्रकूट (रिपोर्ट्स टुडे)। हज़ारों वर्ष प्राचीन इतिहास से उठा पर्दा , भगवान राम की कर्मभूमि चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में विंध्य क्षेत्र की पहाड़ियों से सटे जंगल में मिले कप मार्क्स और शैलचित्र के निशान !
प्राकृतिक चट्टानों, शिला खण्डों और रन शिला-पट्टों (पटालों) में विभिन्न प्रकार के धंसाव अज्ञात अतीत से बनाये जाते रहे हैं। पुराविद् इनको “कप-मार्क/क्युपुले” (Cup-mark/ Cupile) नाम से पहचानते हैं।
इतिहास से जुड़े जानकारों की मानें तो यह शैलाश्रयों में पत्थर की शिलाओं में बने होने के कारण ख़ास हैं। जिनको लेकर मानना यह है कि यह खास जगहों को इंगित करने या दिशा का ज्ञान कराए जाने के लिए पुरातन काल में मानव ने बनाए होंगे।
जानकारों का यह भी मानना है की प्रगैतिहासिक काल में मानव सभ्यता इन कप मार्क्स के माध्यम से ग्रह-नक्षत्रों की जानकारी लेने का काम करते रहे हों!
चित्रकूट के प्राचीन स्थलों से जुड़े इतिहास कार उसकी संस्कृति को उजागर और सरंक्षित करने की दिशा में कम कर रही CACH की टीम ने मानिकपुर के शैलाश्रयों में कप मार्क्स जैसी आकृतियों वाले निशान खोजे हैं जिन पर शोध की आवश्यकता है।
CACH के संस्थापक खोजी पत्रकार अनुज हनुमत और उनकी टीम ने मानिकपुर के सरहट , चूल्ही और खंभेश्वर में मौजूद प्राचीन शैलाश्रयों (रॉक शेल्टर्स) में कप मार्क्स जैसे निशान खोजे हैं।
टीम का कहना है की सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है की ये कप मार्क्सजैसी आकृतियाँ (गड्ढे नुमा आकृतियाँ ) पाषाणकालीन रॉक शेल्टर्स के अंदर चट्टान से बनी दीवारों पर स्थित हैं जिन्हें प्रकृति द्वारा ख़ुद से बना पाना संभव है।
टीम ने इतिहास से जुड़े शोधार्थियों और इतिहासकारों से इन कप मार्क्स जैसी आकृतियों पर शोध करने की अपील की है। ग़ौरतलब हो कि CACH की टीम ने खोजी पत्रकार अनुज हनुमत की अगुवाई में पहले भी चित्रकूट के कई स्थानों पर अनगिनत पाषाणकालीन शैलचित्र खोज चुकी है।
चित्रकूट के सांस्कृतिक इतिहास और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण को लेकर CACH की टीम लगातार कार्य कर रही है।
- पुष्पराज कश्यप