एक सवाल उनके लिए जो चित्रकूट और बांदा जिले को बुन्देलखण्ड का हिस्सा मानते है?
- क्या आप बता सकते है कि बुन्देलखण्ड का जन्म पहले हुआ या चित्रकूट का?
- क्या वास्तव में आपको लगता है कि चित्रकूट बुन्देलखण्ड का हिस्सा है?
- बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के नक्शे में चित्रकूट को दर्शाया जाने के पीछे क्या कारण थे?
- क्यो बुन्देलखण्ड बनने के बाद कैंसिल किया गया?
क्या कभी इन सवालों को लेकर चित्रकूट जिले के किसी व्यक्ति ने आवाज उठाई है।राजनीति और परस्पर विरोध को किनारे रखिये,यह समय सर्वोत्तम है,सभी बुन्देलखण्ड को यूनियन टेरिटरी( केंद्र शासित राज्य की माँग को लेकर आगे बढ़िए। केंद्र शासित राज्य की मांग को लेकर मोर्चे के गठन शुरू हो रहा है। आपको लगता है कि आप अपना सहयोग व सहभाग कर सकते है तो आप मुझसे संपर्क कर सकते है।
अब कुछ तथ्य
वर्षो बीते शंकर लाल महरोत्रा से लेकर आज तक तथाकथित दो दर्जन संगठन बुन्देलखण्ड राज्य के निर्माण के लिए बने और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा में लगकर कभी कांग्रेस, कभी भाजपा,कभी सपा तो कभी बसपा के नेताओ के चरण बन्दन में लगे रहे। ऐसा आज भी चल रहा है।इनको राज्य निर्माण से कोई मतलब नही, इन्हें केवल भाजपा के नेताओ की चमचागिरी से मतलब है। बुन्देलखण्ड से पलायन कर गए कुछ लोगो के साथ किराए की भीड़ इकट्ठा कर यदा कदा जंतर मंतर के साथ किसी हाल में आमोद प्रमोद करने वाले कुछ बनिया टाइप के लोग अपने आपको बुन्देलखण्ड का स्वम्भू रहनुमा घोषित करने की फिराक में लगे है।वैसे इसके पूर्व ललितपुर के रहने वाले पिटी हुई फिल्मों के सहनायक राजा बुंदेला ने पिछले दशक में अपनी क्षुद्र महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए खूब ड्रामे किये। कई राजनीतिक पार्टियों की चमचागिरी की।चुनाव भी लड़े,आज परिद्रश्य से लापता है।पिछले दिनों उन्होंने भाजपा के कुछ नेताओ की चमचागिरी कर पत्नी को सम्मान दिलाने की कामयाबी हासिल की।वर्तमान में बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड में घुसने का जुगाड़ कर लिए है।
अब बात करता हूं चित्रकूट और बांदा की,आखिर यह परिक्षेत्र बुन्देलखण्ड क्यो नही है,और इसको जबरन बुन्देलखण्ड क्यो बनाया जा रहा है।
पहला सवाल यह है कि क्या बांदा या चित्रकूट में बुंदेली भाषा बोली जाती है,क्या पहनावा या रीति रिवाज बुन्देलखण्ड के है।उत्तर है बिल्कुल नही। एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जब 1951 में राज्य गठन को लेकर फ़डीक्कर की रिपोर्ट आई तो उसमें भाषाई आधार पर राज्यो को बनाये जाने की हिमायत की गई थी।पर जब बांदा व चित्रकूट में बुंदेली बोलने वाली आबादी न के बराबर है तो फिर ये बुन्देलखण्ड के हिस्से कैसे हो सकते है।यह बात और है कि छतरपुर,महोबा,पन्ना से लगे क्षेत्र के कारण रोटी और बेटी के सम्बंध है जिसकी बजह से कुछ लोग इस परिक्षेत्र को बुन्देलखण्ड का हिस्सा बताते है।
इतिहास गवाह है कि चित्रकूट परिक्षेत्र की सीमा केन,यमुना और रीवा के पहाड़ो के साथ पन्ना व सतना के कुछ इलाकों में है।अगर आप वास्तव में इस तथ्य को सही मानते है तो चित्रकूट के केंद्रशासित राज्य को लड़ाई में खुलकर अपना सहयोग दे।
आपका भाई,
सन्दीप रिछारिया