14 साल पुराने महोबा के बिजली घोटाले में दो एक्सईन समेत 8 पर मुकदमा

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  • विजिलेंस ने दो एई, तीन जेई व हैदराबाद की फर्म पर भी दर्ज कराई एफआईआर

  • लगभग 1600 करोड़ की बड़ी धनराशि का था राज्यस्तरीय यह घोटाला

रिपोर्ट – H. K. PODDAR

महोबा- उत्तर प्रदेश में महोबा जिले के चौदह साल पुराने बहुचर्चित बिजली घोटाले में आज विद्युत विभाग के दो अधिशाषी अभियंताओं समेत आठ लोगो के खिलाफ आपराधिक मुकदमा पंजीकृत किया गया है।

अपर पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि ग्रामीण इलाको में रोशनी बिखेरने के लिए वर्ष 2005-06 में भारत सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना आरम्भ कराई गई थी। इसके तहत गांवों में खंभे और तार स्थापित कराके लोगों को कनेक्शन प्रदान किये जाने थे। लेकिन यह महत्वपूर्ण योजना विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई थी। कार्यदायी संस्था द्वारा योजना को सही तरीके से अमलीजामा पहनाने की बजाय अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके सरकारी धन को ठिकाने लगाने का कार्य किया गया। प्रकरण में भ्रष्टाचार की शिकायतें सूबे के लगभग 12 जिलों से प्राप्त हुई थी। तब मामले की जांच उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान को सोपी गई थी।

अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बिजली विभाग में प्रदेश स्तर पर किये गए लगभग 1600 करोड़ रुपये के इस बड़े घोटाले में बुंदेलखंड का महोबा जिला भी सम्मलित रहा। जिसके चलते सतर्कता अधिष्ठान झांसी के निरीक्षक रामऔतार वर्मा ने गुरुवार को सदर कोतवाली में तत्कालीन दो अधिशाषी अभियंता नन्हू सिंह एवम रमेशचंद्र, दो सहायक अभियंता चतुर सिंह व रघुबीर प्रसाद, ओर तीन अवर अभियंताओं सत्यम गौड़, एस0 पी0 सिंह तथा शिवम जौहरी सहित कुल आठ लोगो पर आईपीसी की धारा 420, 409, 408, 120 बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 13(1) व 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपियों में आंध्रप्रदेश के हैदराबाद की सामग्री आपूर्ति करने वाली आईबीआरसीएल नामक फर्म भी है। पुलिस ने मामला पंजीकृत करके अपनी जांच शुरू की है। अधिशाषी अभियंता नन्हू सिंह व सहायक अभियंता रघुबीर प्रसाद नोकरी से सेवानिवृत्त हो चुके है।

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