लोकतंत्र पर मोहर लगाई कश्मीरी अवाम ने
राकेश कुमार अग्रवाल
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाने के बाद राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए आठ चरणों में कराए गए जिला विकास परिषद चुनावों के परिणाम भाजपा व केन्द्र सरकार के न केवल मनोनुकूल रहे हैं बल्कि अपनी रणनीति को आगे बढाने का हौसला भी दे गए हैं . दूसरी ओर पीडीपी और कांग्रेस से कहीं ज्यादा सीटें हथियाने में निर्दलीय सफल रहे हैं . इन चुनाव परिणामों का सबसे बडा झटका सात दलों के उस गुपकार संगठन को लगा है जिन्होंने जम्मू कश्मीर में पुरानी स्थिति को बहाल करने की मांग को लेकर गुपकार संगठन को बनाया था .
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पेश कर जम्मू कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाने व राज्य का विभाजन कर जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को दो अलग अलग केन्द्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव किया था . गौरतलब है कि भाजपा – पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद 21 नवम्बर 2018 को जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया था . विभाजन के प्रस्ताव के एक दिन पहले ही 4 अगस्त को गुपकर रोड स्थित नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला के आवास पर आधा दर्जन पार्टियों ने इकट्ठा होकर संकल्प लिया था कि उन्हें राज्य का विभाजन स्वीकार नहीं है .
पूर्व केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा एवं उनके विश्वस्त आईएएस अफसर नीतीश्वर कुमार को कश्मीर की कमान सौंपकर केन्द्र ने अपने एजेंडे को आगे बढाया . सवा साल बाद जम्मू कश्मीर में पहला राजनीतिक प्रयोग करते हुए वहां जिला विकास परिषद के चुनावों की प्रक्रिया शुरु की गई . प्रदेश के बीस जिलों की 280 सीटों पर तीन हफ्ते 28 नवम्बर से 19 दिसम्बर तक चली मतदान की प्रक्रिया में तीस लाख लोगों ने कडाके की ठंड में घरों से निकलकर मतदान में हिस्सा लिया था . 51.48 फीसदी मतदाताओं ने चुनावों में मतदान किया था . कुपवाडा , बडगाम , बांदीपोरा , बारामूला एवं जम्मू संभाग के पुंछ और राजौरी जिलों में भी रिकार्ड मतदान हुआ . चुनाव परिणामों में भाजपा सबसे बडे दल के रूप में उभरी . पार्टी के लिए यह चुनाव परिणाम उसके उत्तर से दक्षिण की ओर बढ रहे विजय रथ के लिए खुशी की बयार लेकर आए . केन्द्रीय वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर के नेतृत्व में पार्टी ने जम्मू कश्मीर में चुनाव अभियान चलाया . यह अभियान कितना गंभीर था इसको इस तथ्य से समझा जा सकता है कि पार्टी ने राज्य में एक महीने में 450 से अधिक रैलियाँ और सभाएं कीं . जिसका लाभ भाजपा को मिला . पार्टी ने पहली बार कश्मीर में कमल खिलाया . पार्टी ने घाटी की तीन सीटों पर जीत हासिल की . श्रीनगर की खोनमोह 2 एजाज हुसैन राथर ने घाटी में भाजपा का खाता खोला . बांदीपोरा की तुलैल सीट पर एजाज अहमद खान व पुलवामा की काकापोरा सीट पर मिन्हा लतीफ ने पीडीएफ की रुकैया बानो को 14 वोट से हराया . भाजपा ने जम्मू , सांबा , कठुआ , ऊधमपुर , डोडा , रेसाई में जीत हासिल की . भाजपा के पूर्व मंत्री शक्तिसिंह परिहार चुनाव हार गए . उन्हें डोडा की गुंडन सीट पर नेशनल कांफ्रेंस उम्मीदवार से हार का सामना करना पडा . जम्मू कश्मीर के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर के बेटे नसीर अहमद मीर अनंतनाग जिले की बेरीनाग सीट से चुनाव हार गए . महबूबा मुफ्ती की पीडीपी को इन चुनावों में करारा झटका लगा है . पीडीपी केवल 27 सीट जीत सकी . पीडीपी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष वहीद पारा जरूर पुलवामा से चुनाव जीत गए . वहीद पारा इन दिनों जेल में बंद है उसे एनआईए ने आतंकी कनेक्शन में शिकंजे में ले रखा है . इन चुनावों में वाम दल अपना वजूद बचाने में सफल रहा . सीपीआई एम ने कुलगाम की पांच सीटें जीत लीं . डीडीसी चुनाव में भाजपा व निर्दलीय प्रत्याशी 52 फीसदी वोट बटोरने में सफल रहे हैं . जम्मू कश्मीर की अवाम ने कांग्रेस या पीडीएफ उम्मीदवारों को जिताने के बजाए निर्दलीय प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा जताया . यही कारण है 280 में से रिकार्ड 50 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीतने में सफल रहे . चौंकाने वाली बात यह है कि 27 सीटें जीतने वाली पीडीपी को जितने वोट मिले उससे लगभग तीन गुना ज्यादा वोट पाने के बावजूद कांग्रेस को महज 26 सीटें ही मिल सकीं . जबकि भाजपा ने रिकार्ड पांच लाख के करीब वोट हासिल किए . गुपकार गठजोड को इन चुनावों में मुंह की खानी पडी है . नेशनल कांफ्रेंस को 67 , जेकेएपी 12 , सीपीआईएम 5 , जेकेपीसी 8 , जेकेपीएम 3 , पीडीएफ 2 जेकेएनपीपी को दो सीटों से संतोष करना पडा . कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी लेकिन पार्टी से सपोर्ट न मिल पाने के कारण कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी . पुलवामा की ददसारा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी अवतार सिंह ने सबसे कम तीन मतों से जीत हासिल की . जम्मू कश्मीर में विधानसभाओं के परिसीमन की प्रक्रिया जारी है . ऐसे में संभावना है कि परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों की कवायद की जाए .
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद हैदराबाद नगर निगम चुनावों और अब जम्मू कश्मीर चुनावों में मिली सफलता से पार्टी का गदगद होना स्वभाविक है . पार्टी को इन चुनावों में मिली जीत के बाद जम्मू कश्मीर में अपना एजेंडा आगे बढाने का जैसे जनादेश मिल गया है . साथ ही इस जीत का संदेश पार्टी बंगाल विधानसभा चुनावों में भी देना चाहेगी .