रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल
1975 में एक फिल्म रिलीज हुई थी जय संतोषी मां . कम बजट की यह धार्मिक फिल्म ब्लाकबस्टर साबित हुई थी . फिल्म का गीत संगीत खूब लोकप्रिय हुआ था . इसी फिल्म का एक भजन था कि
यहां वहां जहां तहां , मत पूछो कहां कहां
हैं संतोषी मां , कि अपनी संतोषी मां
उक्त गाने के मुताबिक जैसे कण कण में भगवान हैं उसी तरह हर जगह संतोषी मां विद्यमान हैं . देखा जाए तो डेढ साल से बचने की तमाम सरकारी और व्यक्तिगत कोशिशों के बावजूद ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस अर्थात कोविड 19 हर जगह मौजूद है . और हम हैं कि घरों में कैद बैठे हैं .
रिपोर्टों की मानें तो चीन देश से निकला यह वायरस देखते ही देखते दुनिया के तमाम देशों में पहुंच गया . दुनिया के सबसे साफ सुथरे यूरोप महाद्वीप से लेकर सबसे विकसित अमेरिका महाद्वीप भी कोविड 19 पहुंचा . चीन से तमाम देशों में वायरस के पहुंचने का मतलब साफ था कि वायरस हवा में है . मतलब वायरस नभ में है .
इंसान तो धरती पर रहता है और धरती पर हुई 35 लाख मौतें साबित कर रही हैं कि कोरोना वायरस ने धरती पर पुख्ता तरीके से डेरा डाल रखा है . अदृश्य वायरस को पकड कर लाॅक करना आसान नहीं था इसलिए पहली बार नया प्रयोग करते हुए इंसानों के साथ साथ उनके काम धंधों और क्रियाकलापों को लाॅक कर दिया गया कि न निकले इंसान घर दफ्तर से बाहर
न ही कोरोना वायरस से उसकी राह में चलते मुलाकात होगी .
और जिस बात का डर है न वो बात होगी .
माॅस्क भी लगाया खूब सेनेटाइजर भी छिडका लेकिन धरती पर कोविड को ऐसा खाद पानी मिला कि 19 से 21आ गया लेकिन कोविड है कि जाने का नाम ही नहीं ले रहा . बात यहीं तक होती तो भी गनीमत थी खबर आई कि नेशनल पार्क में विचरण कर रहे शेर , चीता और अन्य जंगली जानवर भी कोरोना की गिरफ्त में है . फिर तो हर जगह के वन्य जीव अभयारण्यों से इस तरह की खबरें आने लगीं कि यहां के इतने बाघ कोविड से संक्रमित वहां के इतने संक्रमित . ऐसा लगा कि कोरोना हम इंसानों से ही नहीं वनराज के भी मजे लेने में लगा हुआ है . हालांकि मुझे ये नहीं पता कि वनराज का एंटीजन टेस्ट हुआ था या आरटीपीसीआर . कोरोना से बचने के लिए सोचा कि धरती तो सुरक्षित रही नहीं तो क्यों न कैलाश पर्वत निकल जाऊँ . तभी एक मित्र ने सलाह दी कि तू तो माउंट एवरेस्ट की ओर निकल जा . एक पंथ दो काज हो जाएंगे . मैंने उससे पूछा कि वो कैसे ? तो दोस्त बोला एक तो कोरोना से मुक्ति मिल जाएगी . वहां की ठंड में कोरोना की मारक क्षमता भी न रहेगी दूसरा अगर तू एवरेस्ट पर चढ गया तो एवरेस्ट फतेह करने वाले पर्वतारोहियों की किताब में तेरा नाम भी हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा . मैं मन ही मन खुश था कि लोग अब मुझे भी नोटिस करने लगेंगे . मैं भी अरुणिमा सिन्हा की तरह सेलेब्रिटी बन जाऊँगा . लेकिन मेरी यह खुशी भी ज्यादा देर न टिक पाई और खबर आ गई कि माउंट एवरेस्ट पर कोरोना मौजूद है . हम तो सुना था कि कोरोना भीड भाड वाली जगहों माॅल , सिनेमा हाल में जाता है . लेकिन सर्वव्यापी कोरोना तो लगा जैसे मुझसे ही कह रहा हो कि
अजी रूठकर ( हमसे बचकर ) कहां जाइएगा
जहां जाइएगा हमें पाइएगा
अजी लाख परदे में छुप जाइएगा
नजर आइएगा , नजर आइएगा ….
डेढ साल तक दो गज की दूरी रखने की सलाह दी गई थी कि एक पखवाडा पहले आई एक और रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि दो गज नहीं दस मीटर की दूरी तक कोरोना का वायरस जाता है . अब कोई हमें समझाए कि जिसका घर ही एक दो कमरे का हो तो क्या वह पडोसियों के घर चला जाए .
मुझे तो भक्त प्रह्लाद , हिरण्यकशिपु और नरसिंह अवतार का होलिका दहन वाला प्रसंग याद आ जाता है तो कैसे भगवान नरसिंह ने वध किया था . मैंने एवरेस्ट की चढाई का विचार त्यागा ही था कि एक और खबर ने दिल दहला दिया . खबर आई कि लखनऊ में पानी में भी कोरोना पाया गया . सीवर में भी कोरोना मौजूद है . नभ और थल के कोरोना से जैसे तैसे माइंड ट्यूनिंग बिठा रहा था कि जल में कोरोना से लगा कि लगता है कि अंत करीब आ गया है . ये तो कोरोना न हो गया तू डाल डाल मैं पात पात का खेल हो गया . जिस पानी को पहले दिन से रामवाण बताया जा रहा था लगातार हाथ धोते रहने की सलाह दी जाती रही थी अब बता दिया कि पानी में भी कोरोना है . हम तो न जाने कितने कोरोना पचा गए होंगे . न जाने कितने कोरोना को साबुन में धो डाला होगा .
तभी ख्याल आया कि जब अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर इतना दमदार है तो खालिश एल्कोहल कितना फायदेमंद होगा . कोरोना से बचाव के लिए हाथ में जाम लिया ही था कि अलीगढ में शराब पीने से मरने वालों की संख्या 82 तक पहुंची की खबर कान में पडी . तभी समझ में आ गया कि मौत ही अंतिम सत्य है . तभी दिल के अंदर से भी आवाज आई कि अजी बचके कहां जाइएगा ,जहां जाइएगा यमराज को पाइएगा .