अधिवक्ताओं को हेलमेट पहनकर काम करना बन गया मजबूरी
रायबरेली– कहते हैं जान है तो जहान है यह कहावत एकदम सटीक बैठ रही है कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर बने अधिवक्ताओं के चेंबर की शायद ही आपने किसी दफ्तर में कर्मचारियों को हेलमेट पहनकर काम करते देखा है, शायद नहीं लेकिन जिले में एक दफ्तर ऐसा है, जहां के अधिवक्ता गण बाकायदा हेलमेट पहनकर काम करते हैं। ये उनका शौक नहीं बल्कि मजबूरी है। शासन जर्जर भवनों को रिजेक्ट कर सरकारी विभाग को नए भवनों में शिफ्ट कर रहा है लेकिन कलेक्ट्रेट में बने अधिवक्ताओं के चेंबर जीर्ण-शीर्ण भवन अभी भी चल रहा है। इसमें अधिवक्ता अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं। उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट लगाना पड़ रहा है।
इस गंभीर समस्या की जानकारी कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं द्वारा लिखित व मौखिक रूप से कई बार सभी विभागीय उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया लेकिन इसके बावजूद अधिवक्ताओं की पीड़ा का संज्ञान उच्चधिकारियों ने नहीं लिया। स्थिति इतनी गंभीर बन गई है कि अधिवक्ताओं को सुरक्षा की दृष्टि से सिर में आठ घंटे तक हेलमेट लगाकर काम करना पड़ रहा हैं राजेन्द्र प्रसाद यादव, रामेन्द्र सिंह,योगेंद्र सिंह ,महासुख चौधरी, अनुज यादव,सत्येंद्र श्रीवास्तव, आशीष कुमार, शिव कुमार अधिकवक्ता गण ऐसे माहौल में हेलमेट लगाए कार्य करते मिले। उनके चेहरों पर छत ढहने का भय साफ झलक रहा था। कुछ अधिवक्ता लोगो ने बताया कि यह स्थिति वर्ष भर चल रही है लेकिन अधिकारियों को उनके जीवन को लेकर कोई फिक्र ही नहीं है। अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले पर उच्च अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा
अनुज मौर्य रिपोर्ट