धन शोधन मामले में विशेष अदालत से जमानत मिलते ही शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे के राज्यसभा सदस्य संजय राउत मुंबई की आर्थर रोड जेल से बाहर आ गए। वह करीब तीन महीने से जेल में थे।
राउत को जमानत देते समय धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए नामित विशेष न्यायाधीश एम. जी. देशपांडे ने ईडी को फटकार लगाई। अदालत ने संजय राउत और प्रवीण राउत को “अवैध रूप से” अरेस्ट करने के लिए लताड़ गई।
प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ तीखी टिप्पणियां करते हुए न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने एजेंसी के कार्यों को “विच-हंट” (जानबूझकर निशाना बनाना) करार दिया। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि दोनों आरोपी एक तरह से अवैध रूप से गिरफ्तार किए गए।” अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को यह कहते हुए फटकार लगाई कि उसने गिरफ्तारी की असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल “बहुत लापरवाही से” किया।
विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने कहाकि राउत और उनके सह-आरोपी प्रवीण राउत को केंद्रीय एजेंसी द्वारा “बिना किसी कारण के” गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि राउत के घर पर 31 जुलाई को छापा मारा गया था और उन्हें दिन भर कहीं भी नहीं जाने दिया गया। फिर उन्हें ईडी कार्यालय ले जाया गया और दिखाया यह गया कि 1 अगस्त को दोपहर 12.35 बजे गिरफ्तार किया गया।
अदालत ने कहाकि उन्हें आधी रात को गिरफ्तार करने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं थी। न्यायधीश ने आगे कहा, “लेकिन ऐसा लगता है कि ईडी ने इसे नजरअंदाज कर दिया। उनकी उपस्थिति समन के जरिए सुनिश्चित की जा सकती थी, न कि उस तरीके से जिससे उन्हें देर रात गिरफ्तार किया गया था।”
अदालत ने कहा, “यह ध्यान रखना उचित है कि संजय राउत की इतनी असामान्य आधी रात की गिरफ्तारी के बाद, और यहां तक कि पहली ईडी हिरासत अवधि के दौरान, उन्हें एक बिना खिड़की के कमरे में रखा गया था, जहां उनके चारों ओर केवल चार दीवारें थीं। [राउत] ने बताया कि उनकी दो बार एंजियोप्लास्टी हो चुकी है और उनके दिल में छह स्टेंट हैं। उन्होंने इस अदालत के समक्ष एक शिकायत भी की कि उन्हें एक ऐसे कमरे में कैसे रखा गया, जहां बिल्कुल वेंटिलेशन नहीं है। उन्हें अदालत के हस्तक्षेप के कारण ईडी की हिरासत में कुछ वेंटिलेशन वाला कमरा मिल सका। यह सब प्रथम दृष्टया इंगित करता है कि उनकी गिरफ्तारी और कुछ नहीं, बल्कि विच-हंट और उनके मूल्यवान अधिकारों की हत्या है।”
अदालत ने यह भी माना कि मामले के मुख्य आरोपी, राकेशकुमार वधावन और एचडीआईएल के प्रमोटर सारंग वधावन, साथ ही 2006-2018 के बीच “गलतियों” के लिए जिम्मेदार रहे सरकारी अधिकारियों को कभी भी गिरफ्तार नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, “राकेश और सारंग को उनके कुकर्मों के लिए और हलफनामे में मुख्य आरोपी के तौर पर स्वीकार करने के बावजूद सारंग वधावन को ईडी ने गिरफ्तार नहीं किया, उन्हें छोड़ दिया गया। लेकिन उसी समय, प्रवीण राउत को नागरिक विवाद के लिए गिरफ्तार किया गया था, जबकि संजय राउत को बिना किसी कारण गिरफ्तार कर लिया गया। यह सब स्पष्ट रूप से ईडी की असमानता, जानबूझकर चुने हुए केस को उठाने की ओर इशारा करता है। अदालत इस पर रोक नहीं लगा सकती है, लेकिन कानूनी रूप से समानता बनाने के लिए बाध्य है।”
ईडी ने राज्यसभा सांसद संजय राउत को एक अगस्त को उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चॉल के पुनर्विकास के संबंध में वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था।