मैं पति- पत्नी की जोडी या भाई – बहन या फिर प्रेमी – प्रेयसी की जोडी की चरचा नहीं कर रहा . न ही सलीम – जावेद या संगीतकारों में लक्ष्मी – प्यारे , कल्याण जी – आनंद जी , जतिन – ललित , नदीम – श्रवण या विशाल – शेखर जैसे संगीतकारों की जोडियों की भी चरचा नहीं कर रहा .
आज मैं बात कर रहा हूं राजनीति में नेताओं और अधिकारियों की जोडियों की . जी हाँ! प्रधानमंत्री , मंत्रियों और नौकरशाहों की जोडियों का भी लंबा इतिहास है . हाल ही में एक खबर पढने को मिली कि जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल ( एलजी ) मनोज सिन्हा का प्रमुख सचिव वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नीतीश्वर कुमार को नियुक्त किया गया है . नीतीश्वर कुमार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ( एनसीटीआई ) में सदस्य सचिव पद पर कार्यरत थे . दरअसल नीतीश्वर कुमार की यह तैनाती उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के विशेष अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने की है .
मनोज सिन्हा व नीतीश्वर कुमार में ट्यूनिंग तब की है जब नीतीश्वर कुमार गाजीपुर में बतौर सीडीओ तैनात हुए थे . उस समय मनोज सिन्हा गाजीपुर के सांसद थे . जब मनोज सिन्हा रेल राज्यमंत्री बने तब नीतीश्वर कुमार को उनका ओएसडी बनाया गया था .
देखा जाए तो इंदिरा गांधी के जमाने में आर के धवन, अटलबिहारी वाजपेयी के समय में बृजेश मिश्र, नरेन्द्र मोदी के समय में नृपेन्द्र मिश्र व अजीत डोभाल , आदि की लम्बी फेहरिश्त है जिसमें उनके करीबी अधिकारियों / नौकरशाहों को प्रधानमंत्री या अन्य मंत्रियों की आँख , नाक , कान कहा जाता है . वे न केवल उनके सलाहकार और रणनीतिकार हो जाते हैं . बल्कि सबसे विश्वसनीय और विश्वासपात्र भी .
जहां तक नीतीश्वर कुमार का सवाल है जब मैं बाँदा में ईटीवी चैनल में कार्यरत था तब नीतीश्वर कुमार बतौर जिलाधिकारी स्थानांतरित होकर आए थे . सादगी से रहने वाले नीतीश्वर कुमार तेजतर्रार अधिकारियों में शुमार किए जाते हैं . नीतीश्वर जी से जुडे दो प्रसंगों का जिक्र करना जरूर चाहूंगा . कालिंजर महोत्सव के आयोजन में नीतीश्वर कुमार ने भोजपुरी गायक मनोज तिवारी नाईट एवं असगर वजाहत लिखित एवं हबीब तनवीर की रैपर्टरी द्वारा मंचित नाटक ” जिन लहौर नईं बेख्याँ वो जन्मयाँ नाहीं ” के मंचन को कालिंजर के मुक्ताकाशी मंच पर कराने का निर्णय लिया था . मैंने नीतीश्वर जी से कहा था कि सर बुंदेलखंड में भोजपुरी नाईट और हबीब तनवीर के नाटक का मंचन वो भी ठेठ गांववासियों के बीच में . मैंने उनसे कहा कि ” सर , फैसले पर पुनर्विचार कर लीजिए . ” वे मुझसे बोले ” राकेश , बस देखते जाइए ” . आखिरकार वो वक्त भी आया . मनोज तिवारी नाईट ने बुंदेलखंड में भोजपुरी को ऐसे घोल दिया कि भाषा की दीवार संगीत रसिकों में बाधा न बन सकी. मेरे कैमरामेन मुकेश तो मनोज तिवारी की एक साथ आधा दर्जन कैसेट खरीद लाए . बारी थी हबीब तनवीर के नाटक की . हबीब जी इस नाटक के मंचन के लिए खुद कालिंजर पहुंचे थे . मैंने उनका इंटरव्यू भी लिया था . विश्व प्रसिद्ध यह नाटक विभाजन पर केन्द्रित है . जब यह नाटक खत्म हुआ था तो मुझे आज भी याद है कि कालिंजर में सभी दर्शकों ने स्वत: अपने स्थान पर खडे होकर पांच मिनट तक करतल ध्वनि से तालियां बजाई थीं . तमाम नम आँखों को मैंने देखा था . तमाम दर्शकों को आँखें मलते और बिसूरते देखा था . उस दिन थियेटर की असल ताकत को मैंने करीब से जाना था . बाद में मैंने नीतीश्वर जी को कार्यक्रमों के चयन के लिए बधाई भी दी थी .
नीतीश्वर जी की तैनाती आगरा में हो चुकी थी . चैनल के रिपोर्टर और कैमरामेन की ट्रेनिंग आगरा में होना थी . मैं और कैमरामेन गुलजार दोनों ने सपत्नीक चलने का फैसला लिया . मैंने नीतीश्वर जी को फोन से आगरा आने के बारे में बताया और उनसे हम दोनों के रुकवाने के प्रबंध के लिए कहा . उन्होंने आगरा के सर्किट हाउस में हम लोगों के लिए दो सुइट बुक करवा दिए . आगरा दर्शन के लिए वीवीआईपी को लेकर जाने वाली सरकारी गाडी और टूरिस्ट गाईड को हम लोगों की सेवा में लगा दिया . उसने आगरा और फतेहपुर सीकरी का दीदार कराया . और अंतिम दिन मुझे उसी सरकारी गाडी से स्टेशन छोडकर ट्रेन में बिठाकर विदा किया . नीतीश्वर जी अब धरती के स्वर्ग में सेवायें देंगे . आशा करता हूं कि उनकी और मनोज सिन्हा जी की जोडी घाटी में लम्बे अरसे से जमी बर्फ को थोडा बहुत ही सही पिघलाने में सफल रहेगी .