कहीं भ्रष्टाचार छिपाने के लिए तो नही हो रहा खेल
रिपोर्ट – अनुज मौर्य
रायबरेली – प्रदेश में इस समय नौकरशाही का दबदबा है, कोरोना काल मे कोई काम न करने के बहाने ढूंढ रहा है तो कोई मातहतों को फटकार रहा है, ऐसे ही माहौल के बीच रायबरेली से एक ऐसी खबर आ रही है जिसने सबको चौंका दिया है, सीएमओ डा संजय कुमार शर्मा ने डीएम वैभव श्रीवास्तव पर गम्भीर आरोप लगाते हुए महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को शिकायती पत्र भेज दिया है।
यह है पूरा मामला
रायबरेली जिले में सोशल मीडिया पर सीएमओ डॉ संजय कुमार शर्मा द्वारा लिखा गया एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा है कि जिलाधिकारी द्वारा मीटिंग के दौरान कई वरिष्ठ चिकित्सकों व चिकित्सा अधिकारियों के सामने मुझे गालियां दी गई, और खाल खिंचवाने जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए जमीन में गाड़ने तक की धमकी दे दी गई, सीएमओ ने अपने पत्र में लिखा है कि इस घटना से उनकी हालत इस कदर बिगड़ गई कि उन्हें मीटिंग छोड़कर बाहर जाना पड़ा।
सीएमओ ने कहा सही हैं आरोप
पूरे मामले पर जब सीएमओ संजय कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पत्र में लिखी गई समस्त बातें पूरी तरह से सही है और जिलाधिकारी पर जो भी आरोप लगाए गए हैं वह पूर्णतया सत्य हैं।
सीएमओ पर भी लगते रहे हैं आरोप
रायबरेली सीएमओ संजय कुमार शर्मा अक्सर चर्चा में बने ही रहते हैं, पूर्व में भी इन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते आए हैं। सूत्रों की मानें तो कोरोना वायरस से बचाव के लिए महामारी के बाद से लगभग 9 करोड रुपए की खरीद-फरोख्त की गई जिसमें सीएमओ के चहेते एक एसीएमओ और एक संविदा कर्मी ने मिलकर जमकर भ्रष्टाचार किया है। सूत्रों की मानें तो जिलाधिकारी जब भी इस संबंध में जानकारी चाहते हैं तो भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों की पूरी टीम उनके खिलाफ मोर्चा खोल देती है।
आनन फानन में आया दूसरा पत्र
डीएम के खिलाफ सीएमओ द्वारा लिखा गया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के कुछ ही घंटे बाद प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ रायबरेली द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए दूसरा पत्र वायरल किया गया जिसमें लिखा गया कि सीएमओ रायबरेली द्वारा डीएम के खिलाफ जो भी शिकायतें की गई है और जो आरोप लगाए गए हैं उस को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी के कक्ष में एक सामूहिक बैठक आयोजित की गई, बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि जिलाधिकारी द्वारा जो शब्द सीएमओ को कहे गए हैं वह गाली की श्रेणी में नहीं आते हैंज़ जिसके उपरांत सभी प्रकार की भ्रांतियों का निराकरण करा दिया गया है।
आखिर क्या है सच?
जिले के अधिकारियों में हड़कम्प मचा देने वाले सीएमओ के पत्र के बाद भले ही सब कुछ ठीक ठाक दिखाने का दावा किया जा रहा हो, मगर डीएम पर लगाये गए आरोप मात्र एक बैठक से तो खत्म नहीं हो सकते, क्योंकि जिलाधिकारी की किरकिरी कराने में सीएमओ ने कोई कसर नहीं छोड़ी है, अब देखना यह है कि डीएम वैभव श्रीवास्तव सीएमओ के इस लेटर बम से खुद को बचाने के बाद क्या सीएमओ के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपो की तह तक पहुंच पाते हैं या फिर पूरे प्रकरण का सच फिर से दफन होकर रह जाता है।