तो अब पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भी दलालों ने बिछा लिया अपना मकड़जाल

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रायबरेली। जिले के थानों में भले ही बाहर गेट पर दलालों का वर्जित के स्लोगन लिखे हो लेकिन आज भी थानों में दलालों का आवागमन कम नहीं हुआ। वह अलग की बात है कि कोई थानेदार कड़क मिसाज का हो जिसके चलते इन दलालों की दाल न गलती हो। फिलहाल अभी भी थानों में दलाल सक्रिय है जिनके इशारे पर क्षेत्रीय पुलिस और थानेदार काम करते हैं। थानों में दलालों की भरमार छोड़िए अब तो पुलिस अधीक्षक दफ्तर तक दलालों ने जाल बिछा लिया। मजे की बात यह है कि अपने को जाति विशेष का खास नेता बता कर कुछ दलाल थानों में दर्ज मुकदमों पर दबाव बनाने के लिए वादकारियों की मददगार बनकर एक समूह को एकत्र कर जबरन पुलिस पर दबाव बनाने का ठेका ले रहे हैं। जबकि कई ऐसे मामले जिसमें पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिश की गई लेकिन मामला फिसड्डी साबित हुआ। क्यों कि लगाए गए आरोपों की जब पुलिस अधीक्षक ने जांच कराई तो मामला झूठा पाया। एसपी दफ्तर में यह खेल दलालों का विगत महीनों से चल रहा है। सबसे बड़ी विडंबना तो यह कि एसपी दफ्तर में फरियादियों की सुनवाई के लिए वकाएदे व्यवस्था की गई है जहां महिला पुलिस महिलाओं की शिकायत पत्र तो पुरुष की पुरुष शिकायती पत्र लेकर एसपी के काउंटर तक फरियादी को लेकर पहुंचता है लेकिन जब यह समूह पहुंचता है तो बैठे अन्य फरियादियों को दरकिनार कर अपनी नेतागिरी का रौब गालिब कर सबसे पहले अपने सेटिंग वाले फरियादियों को अंदर लेकर प्रवेश होता है। फिलहाल तेजतर्रार नए कप्तान आलोक प्रियदर्शी क्या इन दलालों पर नकेल कस पाते हैं यह तो आने वाला वक्त बता पाएगा।

अनुज मौर्य रिपोर्ट

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