तुलसी मार्ग में दो वर्षों से निर्माणाधीन पुल।
चित्रकूट – धर्म नगरी चित्रकूट में पूर्वी मुखारविंद से जानकीकुंड को जाने वाले तुलसी मार्ग की पयस्वनी नदी में पिछले लगभग दो वर्षो से निर्माणाधीन पुल अब चित्रकूट के आम जनमानस के साथ ही आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए जहां जी का जंजाल बन गया है तो वहीं यह निर्माणाधीन पुल चित्रकूट के स्थानीय राजनैतिक नेताओं और अफसरों के निकम्मेपन का एक नायब उदाहरण भी है। धर्म नगरी चित्रकूट के प्रमुख मार्गो में से एक यह मार्ग और इस मार्ग से निकलने वाले नागरिक पिछले लगभग दो वर्षो से पुल न बनने का दंश झेल रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध सदगुरु नेत्र चिकित्सालय के साथ ही सदगुरु पब्लिक स्कूल, ग्रामोदय विश्वविद्यालय, आरोग्य धाम, सुरेंद्रपाल विद्यालय, विद्याधाम विद्यालय के साथ ही सतना, रीवा, सहित सम्पूर्ण म. प्र. के अलावा देश के अन्य राज्यों से चित्रकूट आकर भगवान कामदगिरि मुखारविंद मंदिर के दर्शन और परिक्रमा मार्ग में आने – जाने वालों का प्रमुख मार्ग होने के बावजूद,मजाल है कि आज तक कभी किसी स्थानीय नेता या प्रशासनिक अधिकारी ने पुल निर्माण कार्य के लिए आवाज उठाई हो। अभी बीते दिनों पूर्व चित्रकूट में आये जोरदार आंधी – तूफान के साथ ही भारी बारिश के कारण जहां स्थानीय निवासियों के घरों में पानी भर गया, तो वहीं पुल निर्माण के लिए खोदी गई मिट्टी के चलते बीते दिवस 33 हजार वोल्ट का विद्युत पोल मिट्टी धसने के कारण गिर गया। वो तो भला हो ऊपर वाले का, कि जिस समय यह विद्युत पोल गिरा,उस समय सड़क पर कोई नहीं था। अन्यथा बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती थी। बावजूद इसके आम जनमानस और आने वाले तीर्थ यात्रियों को हो रही परेशानियों को लगातार दो वर्षों से देखते चले आने के बाद भी न तो यहां के स्थानीय नेताओं का ही जमीर जागा, कि वो पुल निर्माण की आवाज उठाएं। और न ही प्रशासनिक अधिकारियों संवेदना ही जगी। हां अधूरे पड़े पुल निर्माण को देख कर एक बात तो जरुर तय है कि मलाई सबने मिल बांट कर खाई है।इसीलिए शायद कोई भी कुछ नहीं बोलना चाहता है।