भागवत कथा ही ईश्वर प्राप्ति का साधन -बसंत जी महाराज
मिल्कीपुर तहसील के अहरन सुबंश पूरे रामनाथ उपाध्याय गांव में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन अयोध्या से पधारे कथा वाचक बसंत शुक्ल ने ध्रुव चरित्र और सती चरित्र का प्रसंग सुनाया। ध्रुव चरित्र में भगवान ने भक्त की तपस्या से प्रसन्न होकर अटल पदवी देने का वर्णन किया। सेवानिवृत्त शिक्षक शिव बहादुर उपाध्याय एवं व उनकी पत्नी श्री मती कुसुम कथा की मुख्य यजमान है। श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक बसंत शुक्ल जी ने कहा कि भगवान शिव की अनुमति लिए बिना उमा अपने पिता दक्ष के यहां आयोजित यज्ञ में पहुंच गईं।
यज्ञ में भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिए जाने से कुपित होकर सती ने यज्ञ कुंड में आहुति देकर शरीर त्याग दिया। इससे नाराज शिव के गणों ने राजा दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया। इसलिए जहां सम्मान न मिले वहां कदापि नही जाना चाहिए। ध्रुव कथा प्रसंग में बताया कि सौतेली मां से अपमानित होकर बालक ध्रुव कठोर तपस्या के लिए जंगल को चल पड़े। बारिश, आंधी-तूफान के बावजूद तपस्या से न डिगने पर भगवान प्रगट हुए और उन्हें अटल पदवी प्रदान की। कथा ब्यास ने कथा सुनाते हुए कहा कि वह अपने पुत्रों को गोविंद का भजन करने का उपदेश देकर तपस्या को वन चले गए।
भरत को हिरनी के बच्चे से अत्यंत मोह हो गया। नतीजे में उन्हें मृग योनि में जन्म लेना पड़ा। कथा प्रारम्भ होने से पहले भब्य कलश यात्रा निकाली गई जहाँ घंटे और घरियाल शंखनाद के सिर पर कलश लिए सैकड़ों लोग कलशपूजन में शामिल हुए श्रीमद्भागवत कथा को सुनने केलिए दूसरे दिन प्रमुख रूप से पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा समाज सेवी राजन पांडे जिला पंचायत सदस्य अंकित पांडेय समेत क्षेत्र के अनेक गणमान्य लोगों के साथ बड़ी संख्या कथा प्रेमी श्रद्धालु मौजूद रहे आये हुए कथा प्रेमियों को वरिष्ठ अधिवक्ता और मुख्य यजमान के पुत्र राजेश उपाध्याय ने अंगवस्त्र ओढाकर स्वागत किया।
रिपोर्ट- मनोज कुमार तिवारी
ध्रुव चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता
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