डामाडोल हो चुकी है जनपद की पुलिस व्यवस्था हर एक थाने पर मनमानी
रिपोर्ट – दुर्गेश सिंह
रायबरेली – बीते दौर की बात करें तो पुलिस व्यवस्था का क्या हाल जनपद में था किसी से छुपा नहीं लगातार क्राइम के आंकड़ों ने साफ करके रख दिया था आम जनमानस सुरक्षा के प्रति गंभीर खतरा महसूस कर रहा है। हत्या,लूट बलात्कार, चोरी समेत अन्य मामले सामने निकल कर आए कितने मामलों पर अभी तक जांच की चल रही है। जब फरियादियों को न्याय नहीं मिल रहा था तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय रायबरेली के सामने अपनी शिकायतें लेकर पहुंचने लगे। शासन को भनक लगी तो उसने तत्काल पुलिस अधीक्षक स्वप्निल ममगई का तबादला कर दिया और जनपद की कमान नए आईपीएस अधिकारी श्लोक कुमार को सौप दी। नवनियुक्त एसपी से अब जनपद को उम्मीदें हैं क्राइम कंट्रोल में आएगा वारदातों पर अंकुश लगेगा!
थाना स्तर पर स्थिति डामाडोल भटकते है फरियादी
जी, पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने फरियादियों का डेरा रहता है हर एक फरियादी की जुबान पर यही होता है साहब थाने से हमें भगा दिया गया है! हमारी सुनी नहीं जा रही है कार्यवाही नहीं हो रही है जिसके एवज में वह पुलिस अधीक्षक से मिलना चाहते हैं। ऐसी स्थितियों में नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक को थानों पर जरूर गौर करना होगा।
13 थानों में एसएचओ 6 थानों में एसओ जिले में कुल 31 इंस्पेक्टर हैं जिसमें से 13 एसएचओ हैं। 3 इंस्पेक्टर क्राइम है 2 सस्पेंड इंस्पेक्टर हैं। 4 पुलिस लाइन में है 9 पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात हैं।
पुलिस अधीक्षक के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी थानों पर अनुभवी इंस्पेक्टरों की तैनाती की जाए जिससे क्राइम ग्राफ में सुधार आये। सवाल यह भी है हाल में बड़े पैमाने पर स्थानांतरण किए गए हैं उन पर भी नजर डालने की जरूरत होगी।
आइए जानते हैं आईपीएस अधिकारी श्लोक कुमार के बारे में उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में क्या बताया –
श्लोक कुमार ने इंटरव्यू में पूछे गए उन सवालों को शेयर किया, जिनके जवाब देकर ये IPS बने।
IPS ने बताया- ओवर कॉन्फिडेंस के कारण 2 बार हुआ फेल
– श्लोक कहते हैं- ”मैं मूल रूप से पटना का रहने वाला हूं। पिता सुधीर कुमार बिहार कैडर के IAS अफसर हैं और मां हाउस वाइफ। पापा को देखकर मैंने सिविल सर्विस में जाने का मन बनाया। पिता ने भी कहा था- इससे अच्छी नौकरी और सेवा करने का मौका कहीं नहीं मिल सकता।”
– ”बीआईटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। बीटेक पूरा होते ही इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने साल 2010 में कैंपस सिलेक्शन कर लिया। उस समय मेरी उम्र 21 साल थी। पहले मैं GRI एग्जाम देकर विदेश जाना चाहता था, इसमें अच्छा रैंक भी आया, लेकिन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए IOC में ज्वाइन कर लिया।”
– ”इस बीच मैंने 2 बार प्रिलिम्स का एग्जाम दिया, लेकिन पास नहीं कर सका। मुझे ओवर कॉन्फिडेंस हो गया था कि GRI एग्जाम पास कर लिया, तो प्रिलिम्स क्या चीज है। फेल होने के बाद मन में आया कि सिविल सर्विस की तैयारी छोड़ दूं, लेकिन दोस्तों ने कहा कि तैयारी करो निकल जाएगा।”
– ”IOC में नौकरी के दौरान 6 दोस्तों का ग्रुप था। एक बार सभी दोस्त मेरे घर आए। IAS पापा को देखकर दोस्तों ने भी तैयारी का मन बना लिया। उनमें से 4 इस समय सिविल सर्विस में हैं।”
– ”आमतौर पर लोग नौकरी में प्रोडक्टिविटी के समय 3-4 घंटे बातचीत में बर्बाद कर देते हैं। लेकिन मैं बचे समय में तैयारी करता था। सुबह 7 बजे उठकर 2 घंटे न्यूजपेपर पढ़ता था। इसके बाद नौकरी करने चला जाता था। शाम 5 बजे घर पहुंचने के बाद पढ़ाई शुरू कर देता था।”
– ”तैयारी के दौरान हर संडे को हम पार्टी करते थे। सभी दोस्त पूरे दिन भूखे रहते थे, देर शाम दिल्ली के बार्बेक्यूनेशन रेस्त्रां में डिनर होता था। जब तक वेटर आकर हाथ न जोड़ ले, तब तक खाते रहते थे।”
– ”2011-12 में प्रिलिम्स में फेल होने के बाद 2013 में फाइनली मेरा IPS के लिए सिलेक्शन हो गया। मेरा इंटरव्यू करीब 45 मिनट तक चला था।”
ट्रेनिंग के दौरान क्रिएट किया जाता था रेप सीन
– श्लोक कहते हैं- ”IPS में सिलेक्शन के बाद जब मैं ट्रेनिंग के लिए इंडियन पुलिस एकेडमी, हैदराबाद (IPA) पहुंचा तो उस समय मेरा वजन 90 Kg था। ट्रेनिंग पूरी होते-होते यह 70 Kg हो गया।”
– ”कड़ी ट्रेनिंग के दौरान शुरू में लोगों को लगता है कि कहां आकर फंस गए, लेकिन इससे अच्छा ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट इंडिया में और कोई नहीं है। ट्रेनिंग के दौरान पर्सनालिटी में चेंज आ जाता है। डर खत्म हो जाता है।”
– ”यही नहीं, कई तरह के प्रैक्टिकल भी होते हैं। जैसे- रेप और मर्डर सीन क्रिएट किया जाता है, इसमें विवेचक बनकर हमें इसकी जांच करनी होती है। इसके किरदार आईपीए के स्टाफ ही होते हैं।”
– ”मेरी सभी को सिर्फ एक ही सलाह है कि निगेटिव थिंकिंग से दूर रहें।”