महोबा , लंका विजय के बाद श्रीराम के सिंहासन पर आसीन होने के बाद सर्वत्र हर्ष व्याप्त हो गया और सारे भय-शोक दूर हो गए अर्थात रामराज बैठे त्रैलोका, हरषित भए गए सब सोका। नव युवक रामलीला मंडल श्रीनगर द्वारा आयोजित रामलीला के अंतिम दिवस पर रावण वध और श्रीराम राजगद्दी की लीला खेली गई ,जिसमे सर्व प्रथम सेतुबंध रामेश्वरम की स्थापना, विभीषण का रावण द्वारा परित्याग यदि युद्ध को डाला जाए तो अच्छा ही रहेगा इस बाबत श्रीराम ने दूत बनाकर अंगद को रावण के पास भेजा लेकिन बात नहीं बन सकी और आखिरकार युद्ध का बिगुल बज गया उधर युद्ध में मेघनाद ने लक्ष्मण को शक्ति मार दी तो वह अचेत हो गए इस पर राम ने बहुत विलाप किया। बाद में सुषेण वैद्य के कहने पर हनुमान जी रातों रात संजीवनी बूटी लेकर आ गए और वह ठीक हो गए इसके बाद उन्होंने मेघनाद का वध किया।
इसके बाद भीषण युद्ध में राम ने कुंभकरण और रावण का वध कर दिया। राम का अभिनय मृदुल गौरव रावत, लखन राजेश तिवारी, रावण सुबोध गंगेले, कुंभकरण जितेंद्र कुशवाहा, मेघनाद अखिल उर्फ दीपू शुक्ला, विभीषण विनोद पटेरिया, रावण की सेना के कमांडर, मंत्री का प्यारेलाल श्रीवास,पप्पू विश्वकर्मा, प्रकाश कुशवाहा, सीता अंशुल मिश्रा आदि ने किया। व्यवस्था अखिल शुक्ला, यशवर्धन त्रिवेदी, प्रकाश कुशवाहा,विमल त्रिवेदी,अनूप गंगेले की रही , संयोजन रतीश रावत,अनिल शुक्ला ,नरेंद्र गंगेले , अनूप त्रिवेदी, हरिश्चंद्र शर्मा आदि का रहा सहयोगी व्यवस्था आशीष मिश्रा ,अमित शुक्ला , जित्तू परदेशी ,मनीष रावत आदि की रही। संगीत में व्यवस्था ज्ञानेंद्र पटेरिया , मनीष तिवारी,राहुल गुप्ता,राकेश सेनी , उदय तिवारी ,रमन बाजपेई आदि की रही।
रिपोर्ट – राकेश कुमार अग्रवाल
नवयुवक रामलीला मंडल श्रीनगर ने अंतिम दिन रावण वध की लीला का किया मंचन
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