महराजगंज, रायबरेली–शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन से ही क्षेत्र के प्रसिद्ध मां अहोरवा भवानी मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही कतारों में खड़े हो कर मां की पूजा अर्चना के लिए उमड़ती है।
मां से मन मांगी मुराद पूरी करने के लिए श्रद्धालु अपनी अपनी श्रद्धा के अनुसार मां के चरणों में आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। कोई अपने घर से मां के मंदिर तक लेटकर परिक्रमा करता हुआ आता है तो कोई मंदिर क्षेत्र में पहुंच कर परिक्रमा करता हुआ मां की ममता प्राप्त करता है। यही नहीं यह मंदिर अमेठी जिले के बार्डर सीमा से लगा हुआ स्थित है।
इस मंदिर में दूर दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।और सच्चे मन से जो भी कुछ मां से मांगते हैं मां उनकी इच्छा पूर्ण करती है। मान्यता है कि यह मंदिर महाभारत काल से इस क्षेत्र में स्थित है।आज भी कहा जाता है कि मंदिर में स्थापित मूर्ति रुप में मां दिन में तीन स्वरुपों में अपने श्रद्धालुओं को दर्शन देती हैं।
सुबह बाल रूप, दोपहर में युवावस्था वह शाम में वृद्ध रूप में नजर आती हैं। सुनने में ये बात जितनी अद्भुत है उससे ज्यादा यहां दर्शन को वाले इस दिव्य दर्शन और रहस्य को देखकर सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। यहां आने वाले दर्शनार्थियों की मानें तो मंदिर में रखी मां की प्रतिमा पृथ्वी से उत्पन्न हुई है, मूर्ति का कोई निर्माण नहीं किया गया है।
पांडवों ने मिलकर किया था माता के इस भव्य मंदिर का निर्माण मान्यताओं के अनुसार पांडव जब वनवास के दौरान अज्ञातवास का समय बिता रहे थे तो इसी क्षेत्र में काफी समय तक रहना पड़ा था। एक दिन जंगल में अर्जुन शिकार के लिए निकलते है तो वहां उनको जंगलों के बीचो-बीच दिव्य स्वरूप माता के दर्शन प्राप्त हुए वहां से वापस लौट कर अर्जुन ने उस मंदिर और उसमें विराज हुई माता के विषय में अपने चारों भाइयों को जानकारी दी तो सभी ने उनका दर्शन कर पूजा अर्चना की।
रिपोर्ट-अशोक यादव एडवोकेट