महराजगंज, रायबरेली। एसडीएम की विवादित कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। जहां एसडीएम वकीलों के साथ जमानत को लेकर भेदभाव कर रहे हैं वहीं आम जनता भी एसडीएम की मनमानी की शिकार हो रही है। एसडीएम की मनमानी व विवादित कार्यशैली से न्याय पालिका पर पक्षपात के आरोप लग रहे हैं जिससे अधिवक्ताओं व आम जनता में आक्रोश है।
शुक्रवार को अधिवक्ताओं की बैठक में अधिवक्ताओं की समस्याओं के निस्तारण के लिए 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। फिलहाल अधिवक्ता संघ ने सोमवार से काम करने का मन बना लिया है।
शुक्रवार की बैठक के निर्णय के साथ ही यह साफ हो गया है कि अधिवक्ताओं की अनवरत 2 महीने से चली आ रही हड़ताल का अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ है बल्कि उल्टा अधिवक्ताओं ने ही आम जनमानस के न्यायिक कार्य को निपटाने के लिए यू टर्न ले लिया है।
बताते चलें कि बीते बुधवार को अदालती कामकाज न होने पर जमानत में पक्षपात को लेकर अधिवक्ताओं की एसडीएम से तनातनी हो गई। वकील एसडीएम से वार्ता के लिए उनके चैंबर पहुंचे। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि एसडीएम वकीलों के साथ भेदभाव कर रहे हैं।
आरोप है कि एसडीएम कुछ चुनिंदा चहेते वकीलों के खड़े होने पर आरोपी को मुचलका पर ही छोड़ देते हैं, जबकि अन्य वकीलों को जमानत के लिए बाध्य किया जाता है। इस पर एसडीएम ने अधिवक्ताओं पर रौब गांठते हुए कहा कि यह उनका विवेकाधिकार है। एसडीएम ने अधिवक्ताओं से कहा कि जैसा केस होगा, वैसा आदेश होगा।
एसडीएम के ऐसा कहते ही वकीलों और एसडीएम में नोकझोंक हुई और अधिवक्ताओं ने चैंबर से बाहर निकल कर एसडीएम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। वकीलों का आरोप है कि एसडीएम मनमानी कर रहे हैं मनमानी नहीं चलने दी जाएगी। हंगामे के कारण बुधवार से ही अदालती कामकाज बाधित है। एसडीएम व अधिवक्ताओं के बीच गहमागहमी का दंश वादकारियों को भुगतना पड़ रहा है।
वादकारियों को बिना सुनवाई के ही बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष विद्यासागर अवस्थी ने बताया कि आम सभा की बैठक बुलाकर सभी बिंदुओं पर चर्चा करने के बाद निर्णय लिया गया है कि धारा 38,80 व 76 (1) उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के जो भी वाद लंबित है उसके लिए सात सदस्यीय अधिवक्ताओं की कमेटी गठित की गई है। जो एसडीएम व तहसीलदार से वार्ता कर हल निकालेगी।
पंद्रह दिन का समय दिया गया है इस बीच अधिवक्ता वादकारियों के हितार्थ न्यायिक कार्य करते रहेंगे। मामले में एसडीएम राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि बार और बेंच के बीच मनमुटाव का मामला है। साथ में बैठ कर मामले को सुलझा लिया जाएगा। वहीं जमानत में भेदभाव के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है।
- अशोक यादव एडवोकेट