कोरोना वायरस संकट से जूझ रहे पूरे विश्व के साथ भारत की हालत दिन पर दिन गंभीर होती जा रही है ऐसे में कोरोना से जुड़ी पल पल की खबरें हम तक व जरूरत मन्दो की आवाज सरकार के कानो तक पहुचाने के लिए चौथा स्तम्भ लगातार दिन रात काम कर रहा है। इस भयावह बीमारी के संक्रमण की परवाह किये बग़ैर सही सटीक सूचनाओं के प्रसार का जिम्मा ढो रहे पत्रकार साथियों के भी परिवार हैं। उनकी ख़ुद की कुछ निजी जिम्मेदारी है। जिनके बारे में अब तक समाज के किसी वर्ग ने नही सोचा। लोग न्याय की आस में पीड़ित बन कर पत्रकार के सामने आते है अपनी बात रखते है और रुखसत हो जाते है। उनकी पीड़ा के बारे नही सोचते। पत्रकारों के हितों को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ समाजसेवी और मीडिया मूवमेंट के संपादक सिद्धार्थ त्रिवेदी ने भारत सरकार के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कलमकारों के लिए 50 लाख बीमा कवर की मांग की है।
क्या लिखा है पत्र में
सेवा में
माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी
प्रधानमंत्री, भारत सरकार
नई दिल्ली
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
कोरोना संक्रमण से रोकथाम के उपायों के तहत केंद्रीय सरकार द्वारा समय समय पर घोषित निर्णयों और आदेशों का सभी लघु, मझोले, समाचार एजेंसियां, इलेक्ट्रॉनिक न्यूज चैनल, देश भर के समाचार पत्र कड़ाई से पालन करने के प्रतिबद्ध है। इस दौरान अखबारों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकारों के अलावा तकनीकी स्टाफ भी अपना भरपूर योगदान देने का प्रयास करते हुए सभी आवश्यक समाचार जनसामान्य तक पहुंचाने में मदद कर रहे है। जनता कर्फ़्यू और लॉक डाउन के दौरान भी समाचार पत्रों का नियमित प्रकाशन का कार्य बेहद चुनौती पूर्ण और जोखिम भरा है। समाचारों के संकलन और समाचार पत्र के जनसामान्य तक पहुंचने के कार्य के दौरान समाचार पत्रों में कार्यरत स्टाफ जिसमे संवाददाताओं, छायाकारों के अलावा डेस्क पर काम करने संपादकों, कंप्यूटर आपरेटर, मशीनमैन व अन्य कर्मचारियों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
केंद्रीय सरकार ने (कोरोना कोविड 19) से लड़ने के कार्य लगे डाक्टरों, सुरक्षाकर्मियों व अन्य के लिए स्वास्थ्य बीमा किए जाने की घोषणा की है। जबकि मीडिया से जुड़े लोग भी इस आपदा से लड़ने में सरकार को अपना पूर्ण योगदान जिम्मेदारी के साथ प्रदान कर रहे है। प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकारों समेत सभी कर्मचारियों के लिए भी स्वास्थ्य और जोखिम को ध्यान में रखकर कम से कम 50 लाख का बीमा किया जाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा पहले से आर्थिक परेशानी से झूझ रहे प्रकाशकों पर इस आपदा के कारण समाचार पत्र प्रकाशक भी भारी आर्थिक संकट आ गया है। लघु और मझोले समाचार पत्रों के प्रकाशकों की आय का मुख्य स्रोत विज्ञापन होता है, जो लॉक डाउन और बंदी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस कारण प्रकाशकों की आर्थिक मदद जारी किया जाना बेहद जरूरी है।
अत: मैं आपसे पत्रकारों और प्रकाशकों के हित में निम्न अनुरोध करता हूँ :-
- अखबारों और न्यूज़ चैनलों में कार्य करने वाले संपादक, संवाददाताओं, छायाकारों व अन्य कर्मचारियो के लिए 50-50 लाख रुपए का बीमा जारी किया जाए।
- लॉक डाउन और बंदी के कारण अखबारों को हुए नुकसान से उबरने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
भवदीय
सिद्धार्थ त्रिवेदी
संपादक – मीडिया मूवमेन्ट
पत्र को मिल रहा व्यापक जनसमर्थन
संकट की इस घड़ी में सहमे पत्रकारों के लिए एक नई उममीद बन कर उभरे सिद्धार्थ की मुहिम से लोग जुड़ते जा रहे हैं। लोगो ने पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। साथ ही वो साथ अपने तरीके से सरकारी नुमाइंदों के कानों तक ये बात पहुचाने की कोशिश कर रहे हैं। सिद्धार्थ ने कहा वो जनहित की इस मुहिम को आसानी से बन्द नही होने देंगे और न्याय के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। फिलहाल ये देखना दिलचस्प होगा कि इस विषम माहौल में मोदी सरकार मीडिया को योद्धा बता कर हवा हवाई सांत्वना ही देती है या उनके परिवारों का भविष्य भी देखेगी।