सतना – आज जहां एक तरफ देश मे लोग नई- नई टेक्नोलॉजी, कैशलेश ट्रांजेक्शन, स्मार्टसिटी, मेट्रो और बुलेट ट्रेन,अत्याधुनिक तकनीक के बीच जीवन जी रहे है। चांद और मंगल ग्रह में बसने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ गांवों में ग्रामीण जीवन आज भी बदहाल है।बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन जीने को मजबूर ग्रामीणों का जीवन देख कर इंडिया और भारत के फर्क को साफ साफ देखा और महसूस किया जा सकता है। देश में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के बावजूद इसी देश में आज भी ग्रामीणों को निकलने के लिए एक अदद रास्ते की तलाश है।
सतना जिले में मझगवां जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत शाहपुर के बहेलियन टोला में आज पिछले सौ वर्षों से कई परिवार रह रहे है। जिनके लिए बिजली और पानी की व्यवस्था तो राज्य सरकारों द्वारा कर दी गई है।पर आज भी उन्हें मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए कई किसानों की निजी अराजियो से निकलना पड़ता है।शाहपुर ग्राम पंचायत के बहेलियन पुरवा के लगभग पंद्रह परिवारों में 40 वोटर और 80 लोगो की आबादी वाले इस मजरे के लोगो का गर्मी के मौसम में तो किसी तरह गुजर बसर हो जाता है।लेकिन वर्ष के आठ महीने जिस समय खेतों में फसल खड़ी होती है उस समय यह सभी लोग कैद रहते है।
यहां यह बताना आवश्यक हो जाता है, कि जब इन बहेलियों के पूर्वज लगभग सौ वर्षों पूर्व इस जगह पर रहने के लिए आए थे,उस समय खेतों की मेड़ो के सहारे किसी तरह आवागमन कर लेते थे।लेकिन वर्ष बीतते गए, लोग बदलते गए और सरकारे बदलती रही, लेकिन इस बहेलिया पुरवा गांव के लोगो की तकदीर नहीं बदली। और समस्या जस की तस बनी रही। बढ़ती आबादी के कारण जहां खेतों की मेडें पहले की तुलना में छोटी होती चली गई।तो वहीं अन्ना जानवरो की वजह से खेतों में चारो तरफ से कटीली तार की बाड़ लगा दी गई ताकि जानवर फसल को नुकसान न पहुंचा सके।लेकिन इसी बाड़ के कारण बहेलियन टोला के निवासियों का आवागमन ही अवरुद्ध हो गया। अभी बीती 30 तारीख को इस गांव में एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर जननी एक्सप्रेस एमुलेंस बुलवाई गई,लेकिन सड़क मार्ग न होने के कारण गाड़ी मुख्य मार्ग पर ही खड़ी रही,और प्रसव पीड़ा से कराहती महिला का प्रसव गाड़ी के पास आते – आते हो गया।जिसके कारण जच्चा और बच्चा दोनों की हालत खराब हो गई। दोनों अभी भी सतना जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं।इस गांव के ग्रामीणों को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अगर इस गांव में कोई बीमार हो जाये तो उसे हॉस्पिटल ले जाने के लिए उसको कंधे में उठाकर करीब एक किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद ही मुख्य मार्ग तक पहुंचाया जा सकता है। दुर्भाग्य और गरीबी का दंश झेलने वाले इस गांव के लोगो को सड़क का सुख कब और कैसे मिलेगा,इसे शायद कोई नहीं जानता।
सतना से विनोद शर्मा की रिपोर्ट