रिपोर्ट – विमल मौर्य
डलमऊ (रायबरेली) – 3 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले 15 दिवसीय पितृपक्ष के 15वें दिन आज गुरुवार को क्षेत्रीय लोगों द्वारा अपने स्वर्गवासी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अपने अपने घरों में या गंगा तट डलमऊ पहुंचकर तीर्थ पुरोहितों या ब्राह्मणों द्वारा मंत्र उच्चारण और वीर विधान के साथ पिंड दान करते हुए अंतिम दिन जल तर्पण का कार्यक्रम आयोजित किया गया एवं हवन पूजन के पश्चात पितरों को उनके अपने लोक में प्रवास करने के लिए पूजा अर्चना की गई।
3 सितंबर से 15 दिन तक चलने वाले पितृपक्ष में लोगों द्वारा अपने स्वर्गवासी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए 15 दिन तक विधि विधान से जल तर्पण का कार्यक्रम संपन्न करने के बाद आज 15 मई दिन गुरुवार को लोगों द्वारा अपने घरों में या गंगा तट डलमऊ पहुंच कर तीर्थ पुरोहितों के द्वारा मंत्र उच्चारण और विधि विधान से पिंड दान का कार्यक्रम आयोजित करते हुए पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जल तर्पण किया गया और हवन पूजन आदि करने के साथ पूर्वजों की आत्माओं को उनके अपने लोक में प्रवास करने के लिए पूजा अर्चना की गई। संस्कृत महाविद्यालय बड़ा मठ डलमऊ के स्वामी दिव्यानंद ने बताया कि लोगों द्वारा यदि अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि मालूम होने पर उसी तिथि में पिंड दान आदि का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, अन्यथा पितृपक्ष के अंतिम दिन सभी लोग पिंडदान और हवन पूजन के साथ जल तर्पण का कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिससे उनके पूर्वजों की मृत आत्मा को शांति मिल सके और ईश्वर से मृत आत्मा को उनके अपने लोक में निवास करने के लिए पूजा अर्चना की जाती है।