दिव्यांग की सरकारी अस्पताल ने दी दो अलग-अलग रिपोर्ट? मचा बवाल

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वाराणसी। वाराणसी में एक दिव्यांग के निःशक्तता प्रमाण-पत्र (Disability Certificate) रिनुअल को लेकर बवाल मचा हुआ है। यहां एक दिव्यांग को श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय ने दो अलग-अलग रिपोर्ट (Report) दी है। इससे दिव्यांग व उसके परिजन हैरान परेशान हैं कि आखिरकार सही कौन सी है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक दिव्यांग (Handicapped) के निःशक्तता प्रमाण-पत्र (Disability Certificate) रिनुअल को लेकर बवाल खड़ा हो गया है।

दिव्यांग ने श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट प्रशांत चौबे पर निःशक्तता प्रमाण-पत्र जारी करने के बदले 20 हज़ार रुपये घूस मांगने का आरोप लगाया है।

उनका आरोप है कि मंडलीय अस्पताल के ईएनटी विभाग की ओर से पाँच माह पहले उनके दिव्यांग प्रमाण पत्र के रिनुअल के लिए सर सुंदर लाल अस्पताल ईएनटी विभाग बीएचयू रेफर करते हुए नि:शक्तता प्रमाण-पत्र हेतु बैरा जाँच कराने को कहा गया।

बाद में, उसे रिनुअल करवाने के लिए पाँच माह से दोनों अस्पतालों का चक्कर लगवाये जा रहे हैं। दिव्यांग प्रमाण पत्र रिनुअल जारी करने के लिए घूस मांगी जा रही है।

जानकारी के अनुसार राजातालाब निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता जन्म से ही सुनने में असमर्थ है. फ़रवरी 2018 में मंडलीय अस्पताल के ईएनटी विभाग (ENT Department) ने जांच करवाई तो उसे सुनने में असमर्थ बताया गया था और पाँच साल के लिए 45 फ़ीसदी अस्थाई दिव्यांग प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया था।

पाँच साल बीतने के बाद इस बीच फ़रवरी 2023 में दिव्यांग प्रमाण पत्र को रिनुअल के लिए पुनः मंडलीय अस्पताल में चेकअप कराया गया जहां रेडियोलॉजिस्ट ने रिनुअल के लिए 20 हज़ार रुपये घूस माँगा नही देने पर बीएचयू ईएनटी विभाग में बैरा जाँच के लिए रेफर कर दिया गया। वहाँ जाने पर पाँच माह बाद का अपाइंटमेंट मिलने पर पूरे मामले को सीएम योगी सहित उच्चाधिकारियों को शिकायत दर्ज कराने पर सीएमओ आफिस से वापस मंडलीय अस्पताल में जाँच परीक्षण के लिए भेज दिया गया।

पहले मंडलीय अस्पताल ने ही दिया था 45 फ़ीसदी का दिव्यांग प्रमाण-पत्र

निःशक्तता अधिनियम- 2016 के प्रवाधान के आधार पर राजकुमार गुप्ता को दिव्यांग यूडीआईडी नंबर पहचान पत्र (UDID Number Identity Card) रिनुअल की जरूरत पड़ी।

इस पर वे वापस सीएमओ आफिस के निर्देशानुसार मंडलीय अस्पताल के ईएनटी विभाग पहुंचे। यहाँ लम्बी जद्दोजहद और रेडियोलाजिस्ट से नोकझोक के बाद आवश्यक पीटीए जांच हुआ रिपोर्ट देखकर वे हैरान रह गये।

मंडलीय अस्पताल के ईएनटी विभाग ने निःशक्तता गाइडलाइंस के अनुसार राजकुमार गुप्ता को पात्र माना ही नहीं। जबकि 2018 में मंडलीय अस्पताल के ही ईएनटी विभाग ने ही राजकुमार गुप्ता को निशःक्तता प्रमाणपत्र जारी किया था।

मंडलीय अस्पताल ने पहले 45 फीसदी निःशक्त माना, तो रिनुअल कराने पर दिव्यांग नहीं माना, जबकि दोबारा जांच में घूस नहीं मिलने पर बीएचयू रेफर कर दिया।

डॉक्टरों पर लगाए ये गंभीर आरोप

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने मंडलीय अस्पताल के चिकित्सकों और रेडियोलाजिस्ट पर निःशक्तता प्रमाण पत्र के लिए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि पाँच माह से अस्पताल के डॉक्टर और रेडियोलाजिस्ट उनको चक्कर कटवा रहे हैं। बिना पैसे कोई काम नही कर रहा। वहीं शिकायत के बाद सीएमओ के निर्देश पर हुए पुनः जाँच के बाद फिर मनमाने तरह से बीएचयू ईएनटी विभाग में बैरा जाँच के लिए रेफर कर दिया है।

पीड़ित राजकुमार गुप्ता ने बताया कि पूरे मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और दिव्यांग आयुक्त का दरवाज़ा खटखटाया जाएगा।

राजकुमार गुप्ता

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