प्रवासियों के रोजगार सृजन के लिए डीआरआई के कृषि विज्ञान केंद्र ने दिया मुर्गी पालन का प्रशिक्षण

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बताए गए उसके प्रबंधन के तरीके –

चित्रकूट-मझगवां/ मुर्गीपालन व्यवसाय से मुनाफा कमाने के लिए किसान को उसके प्रबंधन, टीकाकरण के साथ साथ कई और भी उपाय करने होते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में अभी भी कई पोल्ट्री किसान इसको नज़रअंदाज कर देते हैं, जिससे पोल्ट्री किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। मुर्गीपालन व्यवसाय को शुरू करने से पहले किसान को प्रशिक्षण लेना बहुत जरूरी है। इसके अलावा फार्म में वह किस नस्ल के चूजे डाल रहे हैं, उनको किस तरह का आहार देना है उनका प्रबंधन किस तरह किया जाए इसके बारे में जानकारी होगी। तभी किसान को लाभ होगा। उपरोक्त बातें प्रवासी कामगारों को रोजगारोन्मुखी मुर्गी पालन प्रशिक्षण के समापन अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशिक्षकों द्वारा कही गई।

दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र, मझगवां में भारत सरकार की गरीब कल्याण रोजगार परियोजना अंतर्गत प्रवासी कामगारो को रोजगार सृजन करने एवं आत्म निर्भर बनाने के लिए मुर्गी पालन विषय पर तीन दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन एवं कृषि विज्ञान केंद्र मझगवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. राजेंद्र सिंह नेगी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

इस कार्यक्रम के माध्यम से डॉ.राजेंद्र सिंह नेगी ने बताया की प्रवासी कामगार को जीवन उपार्जन के साथ आत्म निर्भर बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर मुर्गी पालन करना बहुत ही उपयोगी उद्यम है। इस कार्यक्रम में मुर्गी पालन की तकनीकी जानकारी देने के लिए कुक्कूट अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद से (ऑनलाइन) डॉ एस.के. भांजा एवं डॉ. विजय कुमार ने बताया कि मुर्गी पालन कक्ष इस तरह से बनाए कि, बिल्ली, नेवला, सांप आदि से मुर्गियों एवं चूजों को सुरक्षित रखा जा सके एवं प्रारंभिक अवस्था में चूजो की आहार एवं पोषण की जानकारी दी गई एवं टीकाकरण (वैक्सीन) कब लगाए एवं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध जैसे सहजन की पत्तीयां, कचनार की पत्तियां एवं सब्जियों के छिलके आदि को भी मुर्गियों के आहार एवं पोषण में सम्मिलित करके कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं।

प्रशिक्षण में आए प्रवासियों की समस्या एवं उनकी जिज्ञासाओ का समाधान मुर्गी पालन विशेषज्ञों द्वारा किया गया किया। इस कार्यक्रम में केंद्र से डॉ. रामप्रकाश शर्मा ने बताया की मुर्गियों के चूजो में लगने वाले टीकाकरण (वैक्सीन) कब और कितने दिनों पर लगना चाहिए इस संबंध में जानकारी प्रवासी कामगारों को उपलब्ध कराई गई एवं प्रवासियों को मुर्गी पालन करने के लिए प्रेरित किया एवं कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के तकनीकी मार्गदर्शन एवं सहयोग से अपने अपने ग्रामो में मुर्गी पालन उद्यम शुरु करने के लिए प्रेरित किया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में प्रवासी कामगारो को तीन दिवसीय मुर्गी पालन प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इसमें चितहरा, चंदई, पछीत, कावर, पाथरकछार, पिंडरा, हिरौदी आदि गांव से 35 महिला पुरुष प्रवासी सम्मिलित रहे। इस कार्यक्रम में केंद्र के फसल वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया, फसल सुरक्षा वैज्ञानिक अखिलेश जागरे, अशोक शर्मा, हिमांशु सिंह, महेंद्र सिंह एवं वीरेंद्र प्रजापति आदि की उपस्थिति एवं योगदान सराहनीय रहा।

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