क्या कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगा पाएंगी प्रियंका
महोबा
जैसे जैसे वक्त आगे सरकता जा रहा है वैसे वैसे राजनीतिक पारा बढ़ता जा रहा है। बुंदेलखंड में भी चुनावी घमासान तेज होता जा रहा है। 27 नवम्बर को कांग्रेस महासचिव व पार्टी कू उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गाँधी की बुंदेलखंड के महोबा में होने जा रही है। इस रैली के माध्यम से प्रियंका बुंदेलखंड में खोई पार्टी की जमीन को हासिल करने की कोशिश करेंगी।
प्रियंका की रैली को सफल बनाने के लिए नेताओं का जनसम्पर्क अभियान जोरों पर
उत्तर प्रदेश में बीजेपी , एसपी व बीएसपी जहां सत्ता में वापसी की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता पार्टी की खोई हुई जमीन को हासिल करने करने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। बुंदेलखंड कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन बीते तीन दशकों से कांग्रेस बुंदेलखंड की कुछ सीटें ही जीत पाती है। जो सीटें पार्टी जीतती भी है उनमें पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी का अपना कद व संघर्ष ज्यादा महत्वपूर्ण रहता है। राहुल – प्रियंका की जोड़ी कांग्रेस के पुनरोदय के लिए जी जान से कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में प्रतिज्ञा रैली को संबोधित करने प्रियंका गांधी आ रही हैं। प्रियंका को पहले 23 नवम्बर को आना था। जिसे अकस्मात स्थगित कर दिया गया था। प्रियंका की रैली को सफल बनाने के लिए कांग्रेस के तमाम राज्यों के नेता व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू गांव गांव जन सम्पर्क कर रहे हैं। ताकि रैली में भीड़ जुटाई जा सके।
मोदी , योगी के बाद प्रियंका , इसके बाद अखिलेश
महोबा राजनीतिक घमासान का केन्द्र बनता जा रहा है। 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशाल रैली के बाद अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा महोबा आ रही हैं। प्रियंका महोबा शहर के महाराजा छत्रसाल स्टेडियम में प्रतिज्ञा रैली को संबोधित करेंगी। प्रियंका वाड्रा की रैली के बाद एसपी मुखिया अखिलेश सिंह यादव अपना रथ लेकर 1 दिसम्बर को महोबा आएंगे।
कांग्रेस के लिए लम्बी है लड़ाई
बीते तीन दशकों में कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक कांग्रेस से छिटककर बीएसपी , एसपी व बीजेपी में चला गया है। जिसके चलते कांग्रेस पहले स्थान से खिसककर काफी नीचे चली गई है। राहुल गांधी व प्रियंका वाड्रा कांग्रेस को फर्श से अर्श पर पहुंचाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। लेकिन क्या प्रियंका के नाम पर जुटने वाली भीड़ को पार्टी वोट में बदल पाएगी। यह सबसे बड़ा सवाल है।
राकेश कुमार अग्रवाल रिपोर्ट