किसानों की पेशियों पर पडे बल
बेलाताल ( महोबा )। मानसून की बेरूखी एक बार फिर जनपदवासियों पर भारी पडने वाली है। भादौं माह आधा बीच चुका है। लेकिन इस बार भी पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। खाली पडे सरोवरों ने किसानों की पेशानियों पर बल डाल दिए हैं।
भले देश के तमाम प्रांत बाढ से जूझ रहे हों लेकिन बुंदेली लोग इस साल भी पानी को तरस रहे हैं। मानसून का ढाई माह का सीजन बीत गया है लेकिन क्षेत्र में मानसून मेहरबान नहीं हो रहा हो पाया है। क्षेत्र के अधिकांश तालाब खाली पडे हैं। बेलाताल क्षेत्र की लाईफ लाईन बन चुका बेलासागर तालाब तो रीता रीता सा लगता है। बेलासागर न केवल दो दर्जन गांवों में जलापूर्ति करता है बल्कि जल से जुडी कमलगटा , मुरार , तरबूज, खरबूज , ककडी , किशुरुआ की पैदावार के लिए जाना जाता है। बडी संख्या में लोग मछली पालन करके हैं। सरोवर में पानी होने पर बडी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां प्रवास कर जलक्रीडा का आनंद लेते हैं।
इस वर्ष पानी बरसा भी है तो कभी दस मिनट कभी आधा घंटा। अच्छी बारिश नहीं होने से क्षेत्र के तालाब, कुएं अब भी खाली पड़े हैं। स्थिति यह है कि सिंचाई विभाग के तालाबों में नाममात्र का पानी ही भरा है।
जिससे हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में रबी व खरीफ फसलों की सिंचाई होती है, लेकिन इस बार अल्प बारिश के चलते तालाब खाली ही पड़े हैं। बारिश न होने के कारण सबसे ज्यादा चिंता किसानों को हो रही है। बेलाताल क्षेत्र के किसानों को समझ नहीं आ रहा है कि सामान्य वर्षा नहीं होने पर वे फसलों की सिंचाई कैसे करेंगे।
हल्लू कुशवाहा, इस्माइल मास्टर, देवेन्द्र अरजरिया, महेश खटीक, मुकेश चौरसिया, भारत कुशवाहा, शिवराम यादव, हीरा लाल अनुरागी सहित अनेक किसानों ने बताया कि पिछले सप्ताह तक बारिश न होने के कारण फसलें मुरझाने लगी थीं, लेकिन बीते दो तीन दिन पूर्व से हल्की बारिश होने से फसलों में फिर से जान आ गई है।
जलाशय में भी बीते साल की अपेक्षा नाममात्र का जलभराव हुआ है। किसानों की मानें तो यदि इस पखवाडे में अच्छी वर्षा नहीं हुई तो फिर से सूखे के आसार बन जायेंगे।