फिल्मी सितारों के बिना बिछेगी तमिलनाडु में सियासी बिसात

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राकेश कुमार अग्रवाल
लगता है कि इस बार तमिलनाडु की राजनीति की बिसात फिल्मी सितारों के बिना बिछेगी . दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपर स्टार रजनीकांत ने स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का हवाला देते हुए यह घोषणा कर कि वे न अब राजनीति में आएंगे न ही राजनीतिक पार्टी का गठन करेंगे . पहली बार 2017 में उन्होंने घोषणा की थी कि वह तमिलनाडु में 2021 विधानसभा चुनावों से पहले राजनीति में आएंगे और राज्य की सभी 234 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारेंगे . आध्यात्मिक राजनीति के वादे के साथ वे इसी माह के अंत में अपनी पार्टी ‘ मक्कल सेवै कच्ची ‘ की घोषणा करने वाले थे . लेकिन रक्तचाप में उतार चढाव के बाद उन्होंने अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ करते हुए पार्टी चुनावों से तौबा करने का ऐलान कर दिया . इस तरह से देखा जाए तो लगभग 45 सालों बाद पहली बार तमिलनाडु की राजनीति में ऐसा होने जा रहा है कि फिल्मी दुनिया के दिग्गजों के बिना राज्य में विधानसभा का चुनाव होगा .
तमिल राजनीति का पर्याय रहे करुणानिधि और जयललिता के निधन के बाद रजनीकांत ने जोर शोर से चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया था . घोषणा के पहले ही पार्टी के विस्तार व प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने की प्रक्रिया जोर शोर से चल रही थी लेकिन बिगडी सेहत ने रजनीकांत को बैकफुट पर आने को मजबूर कर दिया .
फिल्मी सितारों का राजनीति में आना कोई नई बात या चौंकाने वाली घटना नहीं थी . फिल्मी अभिनेता व अभिनेत्रियों को सिर माथे पर बिठाने की परम्परा का श्री गणेश करने का श्रेय तमिलनाडु को ही जाता है . जहां फिल्म कलाकारों के मंदिर बनाना और उनकी पूजा करना सामान्य बात है . रजनीकांत ने भले अपनी राजनीतिक पारी का आगाज नहीं किया लेकिन सिने प्रेमी तमिलनाडु की जनता ने एक दो नहीं चार फिल्मी सितारों को मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य दिया है . 30 सालों से अधिक समय तक 100 से अधिक फिल्मों में काम करने वाले एम जी रामचंद्रन तीन बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे . वे 1977 से 1987 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे . डीएमके पार्टी ज्वाइन कर उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया था बाद में उन्होंने स्वयं अन्ना द्रमुक ( एडीएमके ) पार्टी का गठन कर उसके संस्थापक बने . एम जी रामचंद्रन को भारत सरकार ने मरणोपरान्त भारत रत्न से नवाजा था . तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य फिल्म नायिका जानकी रामचंद्रन को भी मिला . वे तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं . जानकी ने करीब दो दर्जन फिल्मों में नायिका का किरदार निभाया . हालांकि जानकी का कार्यकाल महज 23 दिन का रहा . वे 7 जनवरी 1988 से 30 जनवरी 1988 तक राज्य की मुख्यमंत्री रहीं . करुणानिधि जो स्वयं पटकथा लेखक थे , वाद्ययंत्र नादस्वरम बजाने में दक्ष थे . हीरो के किरदार गढते थे राज्य की राजनीति में आए तो पांच बार मुख्यमंत्री और रिकार्ड 12 बार विधायक चुने गए . 300 से अधिक फिल्मों में काम करने वाली जे जयललिता को राजनीति में लाने का श्रेय एम जी रामचंद्रन को जाता है . जयललिता ने 15 साल की उम्र से फिल्मों में काम किया वे 6 बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं .
तमिलनाडु के अलावा किसी ओर राज्य में फिल्मी सितारा राजनीति के शिखर पर यदि पहुंचा है तो वह है तमिलनाडु से जुडा उसका पडोसी राज्य आन्ध्रप्रदेश . आंध्रप्रदेश में फिल्म अभिनेता नंदमूरि तारक रामाराव ( एनटीआर ) जिन्होंने 250 से अधिक तेलुगु फिल्मों में काम किया 1983 से 1994-95 तक तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे .
विजया शांति , चिरंजीवी व उनके छोटे भाई पवन कल्याण एवं कमलहासन ने भी राजनीति में कदम बढाए . विजयाशांति टीआरएस से मेडक सीट से सांसद निर्वाचित हुईं . चिरंजीवी ने खुद अपनी पार्टी प्रजाराज्यम का गठन किया लेकिन उन्हें वह सफलता नहीं मिली जिस कारण फरवरी 2011 में पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया . तमिलनाडु के एक और सुपरस्टार कमलहासन ने मक्कल नीधि मय्यम नाम से राजनीतिक पार्टी का गठन कर रखा है . लेकिन पार्टी अभी राज्य में साइलेंट फेज में है .
जहां तक बाॅलीवुड के फिल्मी सितारों की राजनीति में इंट्री का सवाल है . फिल्म अभिनेता और अभिनेत्रियों की एक लम्बी फेहरिश्त है . जिन्होंने राजनीति में भाग्य आजमाया है . सवाल उठता है कि आखिर फिल्मी सितारे राजनीति के प्रति इतने क्रेजी क्यों हैं ? राजनीति हो या फिल्म दोनों का सीधा वास्ता जनता से है . जनता ही उन्हें लोकप्रियता के शिखर पर ले जाती है . और जनता ही उन्हें नकारती है . फिल्मी सितारों का जनता में हर आयु वर्ग के लोगों के बीच फिल्मों के माध्यम से चाहा अनचाहा ही सही जुडाव हो जाता है . ये फिल्मी सितारे सिनेमा के रुपहले पर्दे पर विभिन्न किरदार निभाते निभाते उनके दिल दिमाग में उतर जाते हैं . फिल्मी कलाकार को जनता के बीच में अपना टैम्पो हाई करने के लिए ज्यादा जतन नहीं करने पडते हैं . राजनेताओं के विपरीत फिल्मी सितारों की एक झलक पाने के लिए लोग घंटों उनका इंतजार करते हैं . उनके लिए भीड टूट पडती है . क्योंकि ग्लैमर और चकाचौंध की दुनिया से आया शख्स लोगों के लिए परीकथाओं के राजकुमार एवं राजकुमारी की तरह होता है .
ऐसा लगता है कि इस बार का तमिलनाडु में विधानसभा का चुनावी घमासान फिल्मी सितारों की अनुपस्थिति में होगा . एम करुणानिधि व जे जयललिता की कमी के साथ रजनीकांत को लेकर उनके समर्थकों एवं भाजपा को उनकी पार्टी से गठबंधन की जो आशा थी भी वह भी धरी की धरी रह गई है . इस बार राज्य में चुनाव में राजनीति तो जमकर होगी लेकिन ग्लैमर का तडका जाता रहेगा .

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