मांधाता, प्रतापगढ़। धनीपुर पंचायत भवन में बांधी जा रही बकरियां, जिम्मेदार बेखबर मांधता ब्लॉक के अधिकांश पंचायत भवनों में कहीं भैंस-बकरी पाली जा रहीं, तो कहीं लोगों ने बना ली है अपनी गृहस्थी। सीएम योगी के जीरो टॉलरेंस को पलीता लगा रहे हैं ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारी,क्या उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ की हनक पड़ने लगी है कमजोर। मांधाता ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार का खेल रहे हैं बड़ा खेल,जान कर भी अंजान बने जिले के आलाअधिकारी।
योगी सरकार गांव की जनता को हर सुविधा मुहैया कराने की कवायत में जुटे है परंतु इनके ही अफसरशाही पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं सरकार गांव के विकास कार्यों को लेकर तमाम योजनाएं चला रही है लेकिन विभाग अधिकारी गावों का विकास न करके खाऊ कमाऊ नीति अपना ली है।
ऐसा ही कुछ देखने को मिला विकासखंड मांधाता के ग्राम सभाओं में उसी में से एक गांव धनीपुर जहां पंचायत भवन में प्रधान,सचिव और पंचायत सहायक को बैठना चाहिए लेकिन वहां बकरियां बांधी जा रही है और कमरों में लकड़ियां और गंदगी का अंबार लगा हुआ है।
पंचायत भवन कबाड़ खाने में तब्दील हो चुका है कई वर्षों से इस पंचायत भवन में प्रधान के द्वारा एक भी बैठक नहीं हुई है लेकिन जब बात आती है पैसों की तो कंप्यूटर इनवर्टर आदि पंचायत सहायक मानदेय के नाम पर लाखों निकाल लिए जाते हैं पंचायत भवन में मौके पर कोई भी उपकरण मौजूद नहीं है राम भरोसे ही चल रहा है गांव का विकास पंचायत राज एक्ट के तहत बनाए गए सारे नियम यह पंचायत भवन देखकर यही लगता है कि ध्वत हो चुके है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस पंचवर्षीय में ग्राम सभा धनीपुर ओबीसी सीट के लिए आरक्षित थी लेकिन वही ग्राम प्रधानपति ने अपनी पति आसिया के नाम से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बना कर चुनाव लड़वाया और जीत भी हासिल की जबकि ग्राम प्रधान आसिया सामान्य वर्ग में आती हैं आपको बता दें कि गांव के ही एक व्यक्ति ने इस पर आपत्ति दायर की थी जिस पर एसडीएम सदर आदि ने जांच में पाया कि यह जाति प्रमाण पत्र फर्जी है और निरस्त भी कर दिया है अब देखना यह है कि आगे की कार्रवाई कब होती है।
योगी सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है लेकिन ब्लॉक मांधाता में प्रधान से लेकर ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारी तक अपनी कारस्तानी से बाज नहीं आ रहे उनकी करगुजारियां जगजाहिर हो रही है लेकिन वही जिले के जिम्मेदार अधिकारी अब भी आंखें मूंदे हुए बैठे हैं।
वही इस विषय में प्रधान पति से दूरभाष के जरिए संपर्क किया गया तो उन्होंने गोलमटोल जवाब देते हुए बताया कि पंचायत भवन की स्थिति ठीक नहीं है बजट आने पर दूसरी पंचायत भवन बनाई जाएगी।
इसी पंचायत भवन के कमरे में समूह की महिलाओं का एक कार्यालय खुला है जिसमें मीटिंग भी होती है लेकिन प्रधान पति कह रहे हैं पंचायत भवन की स्थिति ही ठीक नहीं है बड़ा सवाल? अगर ऐसा है तो क्यों महिलाओं के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।