रायबरेली – सरकारी मशीनरी व भाजपाई खेमे में वैसे तो हमेशा चर्चा होती रहती है कि सरकार भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है और यदि उनके डिप्टी सीएम साहब दिनेश शर्मा की बात हो तो बेदाग चेहरे के रूप में उनकी छवि है, मगर उन्ही के विभाग से और उन्ही के प्रभार वाले जिले में यदि घोटाले की महक आने लगे और कार्यवाही न हो तो सवाल उठने लाजिमी हैं, जी हाँ, यूपी के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा इस समय रायबरेली जिले के प्रभारी मंत्री हैं और माध्यमिक शिक्षा का जिम्मा भी उन्ही के पास है, तो आइए बताते हैं आपको की किस तरह भ्रष्टाचार में डूब कर किसने पूरे विभाग में लाखों का घोटाला कर दिया।
सवालों के घेरे में आया निष्ठा प्रशिक्षण
प्रदेश भर में इस समय निष्ठा प्रशिक्षण का कार्य चल रहा है, इसके लिए शासन से भारी भरकम बजट की व्यवस्था की गई, कार्यदायी संस्था चुनी गई मगर व्यवस्था के नाम पर सब शून्य रहा, गुणवत्ता को कौन कहे मानकों की तरफ ही किसी का ध्यान नहीं गया और पूरा प्रशिक्षण बिना किसी मानक के बजट निकालने के लिए पूरा कर दिया गया।
तो क्या खाने के बजट में हुआ खेल
निष्ठा प्रशिक्षण में अध्यापकों को दिए जाने वाले नाश्ते व खाने पर जमकर सवाल उठे, बड़ी संख्या में अध्यापकों ने दबी जुबान में आवाज उठाई मगर असलियत तो बाहर आनी ही थी, सवाल है कि क्या सिर्फ बजट को खपाने और उसमें बंदरबांट के लिए 16 मार्च से बोर्ड परीक्षा टाइम के नजदीक ही पनीर वाली निष्ठा ट्रेनिंग कराना मजबूरी थी या जल्दबाज़ी में हाई बजट निष्ठा ट्रेनिंग का एडजस्टमेंट था और कुछ भी नही।
ट्रेनिंग हाल ही बेहाल
जिले के नगर क्षेत्र में पुलिस लाइन के पास उस हाल में हाई बजट निष्ठा ट्रेनिंग शुरू कराई गयी जहां का भवन आज तक हस्तांतरित ही नहीं हुआ और उसकी जांच चल रही है, बालू से बनी छत और बिल्डिंग पूरी बरसात टपकती रही, ऐसे हॉल में नगर के शिक्षक शिक्षिकाओ की जानमाल की जिम्मेदारी कौन लेगा झटपट रंगरोगन कर प्रशिक्षण शुरू करा दिया गया।
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद लिया प्रशिक्षण
प्रशिक्षण तो अनिवार्य था मगर न आने वालों के लिए बाद में भी विकल्प खुले थे। नगर बीईओ साहब की मनमानी के कारण मोतियाबिंद का आपरेशन कराकर शिक्षिका को ट्रेनिंग करना पड़ा, शिक्षिका अपनी बेटी को साथ लेकर आती हैं और लिखापढ़ी कराकर प्रशिक्षण ले रही हैं, अब साहब का फरमान जो मानना है।
शासनादेश की उड़ी धज्जियां
पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम में शासनादेश की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी हैं, प्रोजेक्टर से ट्रेनिंग कराने के नाम पर एक एलईडी न प्रोजेक्टर तक न लगाया गया, इसका बजट कौन लेकर पचायेगा अभी कोई अता पता नहीं, हाल में बार बार बन्द होने वाला जर्जर माइक अपनी धुन अलग बजाता रहता है, जबकि बिना प्रोजेक्टर के हाल को अवैध मानने का वैध शासनादेश शासन ने जारी कर रखा है।
नेताजी के होटल से आएगा पलास्टिक पैकिंग का खाना
पूरी मोदी सरकार प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़ने का डंका पीट रही है, पटरी दुकानदारो पर बड़े बड़े साहिब प्लास्टिक पन्नी मिलने पर कहर ढा रहे हैं, मगर शासनादेश में लिखा होने के बावजूद नगरक्षेत्र में जारी निष्ठा प्रशिक्षण में स्थानीय भाजपा नेता महादेव गुप्ता के होटल से आने वाला प्लास्टिक पैकिंग में खाना सरकारी नियमो की धज्जियां उड़ाने में चार चांद लगा रहा है, अब नेता जी का रेस्टॉरेंट है तो कौन हिमाकत करे, क्या पता कार्यदायी संस्था तक नेताजी की सेटिंग हो, और तो और नेता जी की कार प्लास्टिक पैक खाना लेकर आती हौ और उतारकर चली जाती है, बाकी प्लास्टिक में खाना उठाकर, खाकर, सफाई करके प्लास्टिक को किनारे पहुंचाने का काम गुरु जी खुद कर लें।
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स्थानांतरित साहब के नाम से प्रशिक्षण
नगर क्षेत्र का प्रशिक्षण स्थल कहने को तो कलेक्टर साहब व अन्य अधिकारियों के आफिस के पास से मात्र कुछ मिनटों को दूरी पर है मगर किसी के न पहुंचने के कारण ही 27 फरवरी को जिले से स्थानांतरित हो चुके डायट प्राचार्य राजेन्द्र प्रसाद के बैनर के साथ ही प्रशिक्षण करवाया जा रहा है, आखिर कौन अलग से नए बैनर का खर्च उठाये सवाल यह भी है।
परीक्षा नजदीक फिर भी प्रशिक्षण जारी
बेसिक स्कूलो की परीक्षा नजदीक होने के बावजूद प्रशिक्षण कराने से भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि स्कूल की परीक्षा की समयसारिणी जारी हो चुकी है 16 मार्च से बोर्ड परीक्षा है, मगर कुछ बीईओ निष्ठा ट्रेनिंग चालू किये हैं, बीआरसी नगरक्षेत्र पुलिस लाइन में 2 मार्च से निष्ठा ट्रेनिंग शुरू करने का फरमान जारी है, 16 मार्च से बोर्ड परीक्षा शुरू हो जायेगी, शिक्षकों को परीक्षा के पहले कि तैयारी करनी होती है जैसे-कोर्स रिवीजन, उत्तर पुस्तिका ख़रीदना, सिटिंग प्लान बनाना, साफ सफाई आदि, हाई बजट निष्ठा ट्रेनिंग के लिए 2 मार्च से 6 मार्च का समय चुना गया, बचे लोगो का एक और 5 दिवसीय बैच चलाया जायेगा, प्रश्न यह है कि जब दिसंबर जनवरी में सभी ब्लॉकों में निष्ठा ट्रेनिंग चलायी गयी थी तो नगर में नही करायी, अब जब बेसिक की बोर्ड परीक्षा 16 मार्च से हैं तो प्रशिक्षण कराया जा रहा है, फिलहाल कुछ भी जिस तरह से नियमों की धज्जियां उड़ाई गयी हैं अगर इसकी उच्चस्तरीय जांच हो तो प्रशिक्षण के नाम पर निकाले जा रहे मोटे बजट का खेल जरूर उजागर होगा और कुछ बड़े भ्रष्टाचार के आकाओं की गर्दन जरूर शिकंजे में आएगी।